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हरिद्वार : देवभूमि उत्तराखंड

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हरिद्वार: हरि का द्वार अर्थात् भगवान का द्वार !   दोस्तों मेरा ये सफर हरिद्वार का था फिर आगे ऋषिकेश का ।  इस कड़ी में आप को हरिद्वार से रूबरू करवाते हैं। आप का कीमती  समय बर्बाद ना करते हुए चलिए सफर की शुरुआत आप के शहर से  करते हैं।       आप जिस भी शहर से आते हो यहाॅ आने के लिए सीधा या अल्टरनेट रुप से रेल की सुविधा है की नहीं ये देख लें। यदि  आप हवाई सफर का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो फिर दिल्ली या  देहरादून आ सकते हैं और फिर वहां से यहां आ सकते हैं। यहां आने  के बाद आपको रहने के लिए कम बजट में आश्रम मिल जायेगा  जिसमें आपको एक कमरा उपलब्ध कराया जाएगा। ज्यादा बजट  में होटल की भी सुविधा है । आप अपने बजट के अनुसार ठहर  सकते हैं। ऑनलाइन गूगल मैप से भी अपने नजदीकी आश्रम और  होटल वालों से संपर्क कर सकते हैं।         यहां आने के बाद आपको यहां के प्रसिद्ध स्थल हर की पौड़ी आना होगा। यहां आने के लिए आपको रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड दोनों  जगह से आटो की सुविधा मिल जायेगा। आप यहां  • गंगा स्नान कर सकते हैं।  • सायंकाल गंगा आरती देख सकते हैं। नोट : गंगा घाट स्थल को साफ रखने की जिम्मेदारी पर्यटक की  भी

दो पल

   नवम्बर का महीना था, सर्दी की शुरुआत हुई थी हर कोई एक नये लुक में नजर आ रहा था हाल ही में मैंने भी इस नये शहर मेें दस्तक दिया था सूना तो था कि यह दिलवालों की नगरी है लेकिन यकीन नहीं था अब आपलोग समझ गयें होगें । नाम बताने की जरूरत नहीं समझता खैर अब इस शहर में आ गये है तो इस शहर को करीब से देखने के लिए उतावला था। हमारी टीम कंपनी के एक खास प्रोजेक्ट में लगी थी जिसके कारण हम व्यस्त रहते थे लेकिन हमारी कोशिश रहती थी कि जल्द से जल्द प्रोजेक्ट को कंपलीट कर शहर के भ्रमण पर निकले । करीब एक महीने के बाद वह दिन आ ही गयी जिस दिन की हमें इंतजार थी।             हमारी टीम को कंपनी की तरफ से पंद्रह दिन की छुट्टियां दी गई थी। हर कोई आनेवाले पंद्रह दिन को खास बनाने का प्लान कर रहा था। कोई अपने पुराने रिश्तेदार से मिलने की बात करता तो कोई गर्लफ्रेंड से मिलने की बात करता तो कोई अपने ब्वॉयफ्रेंड से मिलने की बात करती । हमारे तो न रिश्तेदार थे  न कोई गर्लफ्रेंड। मैं तो इस शहर के आबोहवा को दिल में उतारने के लिए बेताब था । मैंने तो अलार्म लगाया आॅख बंद किया । सुबह जग कर तैयार हुआ , चाय की चुस्की लिया और न

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