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💔 रिश्ते: प्रेम, भय और आज की युवा सोच

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हाल ही में  एक राज्य में हुई  घटना और नीली ड्रम का प्रकरण पुरुषों के बीच शादी को लेकर एक गहरा डर और असुरक्षा का भाव उत्पन्न कर रहा है। इसने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है कि — क्या हम सच में अपनी युवा पीढ़ी को नहीं समझ पा रहे हैं, या समझ कर भी अनदेखा कर रहे हैं? हम आज भी उस पुरानी रुढ़िवादी सोच को अपने दिमाग से निकाल नहीं पाए हैं। सिर्फ समाज में अपनी खोखली छवि बनाए रखने के लिए हम वास्तविकता से आंखें मूंद लेते हैं। अगर हम मानते हैं कि युवा पीढ़ी को प्रेम और रिश्तों की समझ नहीं है, तो क्या यह हमारी जिम्मेदारी नहीं बनती कि हम उन्हें समझाएँ? "प्रेम त्याग और समर्पण है। यदि तुममें यह भावना है, तो प्रेम करो। यदि नहीं है, तो जिससे प्रेम करते हो, उसी से विवाह  करो।" अब यहाँ एक और बात समझने की है — क्या तुम कानूनी रूप से 18 और 21 वर्ष के हो? क्या तुम्हें सही और गलत की समझ है? क्या तुम जीवन को तार्किक रूप से समझने लगे हो? यदि हाँ, तो भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 तुम्हें यह मौलिक अधिकार देता है कि तुम अपनी पसंद से शादी कर सको। यदि कोई इसमें बाधा डालता है, तो तुम प्रशासन से अपनी सुरक...

दो पल

   नवम्बर का महीना था, सर्दी की शुरुआत हुई थी हर कोई एक नये लुक में नजर आ रहा था हाल ही में मैंने भी इस नये शहर मेें दस्तक दिया था सूना तो था कि यह दिलवालों की नगरी है लेकिन यकीन नहीं था अब आपलोग समझ गयें होगें । नाम बताने की जरूरत नहीं समझता खैर अब इस शहर में आ गये है तो इस शहर को करीब से देखने के लिए उतावला था। हमारी टीम कंपनी के एक खास प्रोजेक्ट में लगी थी जिसके कारण हम व्यस्त रहते थे लेकिन हमारी कोशिश रहती थी कि जल्द से जल्द प्रोजेक्ट को कंपलीट कर शहर के भ्रमण पर निकले । करीब एक महीने के बाद वह दिन आ ही गयी जिस दिन की हमें इंतजार थी।             हमारी टीम को कंपनी की तरफ से पंद्रह दिन की छुट्टियां दी गई थी। हर कोई आनेवाले पंद्रह दिन को खास बनाने का प्लान कर रहा था। कोई अपने पुराने रिश्तेदार से मिलने की बात करता तो कोई गर्लफ्रेंड से मिलने की बात करता तो कोई अपने ब्वॉयफ्रेंड से मिलने की बात करती । हमारे तो न रिश्तेदार थे  न कोई गर्लफ्रेंड। मैं तो इस शहर के आबोहवा को दिल में उतारने के लिए बेताब था । मैंने तो अलार्म लगाया आॅख बंद किया । सु...

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