हरिद्वार : देवभूमि उत्तराखंड

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हरिद्वार: हरि का द्वार अर्थात् भगवान का द्वार !   दोस्तों मेरा ये सफर हरिद्वार का था फिर आगे ऋषिकेश का ।  इस कड़ी में आप को हरिद्वार से रूबरू करवाते हैं। आप का कीमती  समय बर्बाद ना करते हुए चलिए सफर की शुरुआत आप के शहर से  करते हैं।       आप जिस भी शहर से आते हो यहाॅ आने के लिए सीधा या अल्टरनेट रुप से रेल की सुविधा है की नहीं ये देख लें। यदि  आप हवाई सफर का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो फिर दिल्ली या  देहरादून आ सकते हैं और फिर वहां से यहां आ सकते हैं। यहां आने  के बाद आपको रहने के लिए कम बजट में आश्रम मिल जायेगा  जिसमें आपको एक कमरा उपलब्ध कराया जाएगा। ज्यादा बजट  में होटल की भी सुविधा है । आप अपने बजट के अनुसार ठहर  सकते हैं। ऑनलाइन गूगल मैप से भी अपने नजदीकी आश्रम और  होटल वालों से संपर्क कर सकते हैं।         यहां आने के बाद आपको यहां के प्रसिद्ध स्थल हर की पौड़ी आना होगा। यहां आने के लिए आपको रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड दोनों  जगह से आटो की सुविधा मिल जायेगा। आप यहां  • गंगा स्नान कर सकते हैं।  • सायंकाल गंगा आरती देख सकते हैं। नोट : गंगा घाट स्थल को साफ रखने की जिम्मेदारी पर्यटक की  भी

डिजिटल गर्ल फ्रेंड( Digital Girlfriend )

         यह कहानी 15 मई 2017 को प्रतिलिपि Online Magazine में Published हुआ था । जिसे 4000 से भी ज्यादा पाठकों द्वारा पढ़ा गया और यह कहानी टाँप 20 कहानियों में चयनित हुई थी ।आज मै अपने द्वारा लिखित कहानी 'डिजिटल गर्ल फ्रेंड ' अपने Blog पर Published कर रहा हूँ ।
आज इस आधुनिक और सोशल मीडिया के युग में भला कौन पीछा रहना चाहता हैं । हमारी दोस्ती की पाठशाला यही से शुरुआत होती हैं , इसी सोशल मीडिया युग की अनोखी कहानी है , डिजिटल गर्ल  फ्रेंड
            सूरज और चांदनी दोनों एक छोटे शहर से निकल कर झीलों की नगरी ' भोपाल ' मे उच्च शिक्षा ग्रहण करने आये । दोनों एक नामी इंजीनियरिंग कालेज मे नामांकन लिए यही दोनों की मुलाकात कालेज के कैंटीन मे होती हैं  ।
सूरज - आप का नाम क्या हैं आप को कालेज मे कभी देखा नहीं ?
चांदनी - मैं इसी माह से कालेज आ रही हूँ शायद आप नहीं देखे हो , वैसे मेरा नाम चांदनी है और आपका ।
सूरज - मेरा नाम सूरज हैं ।
चांदनी - आप किस ब्रांच के हैं ।
सूरज - मेरा EC ब्रांच हैं और आपका ।
चांदनी - मेरा भी EC ब्रांच हैं , लेकिन आपको देखा नहीं
सूरज-  आप नहीं देखी होंगी वैसे आज का दिन कैसा रहा , चांदनी - अच्छा था ।
सूरज - केवल अच्छा यार की बहुत अच्छा ।
चांदनी - यार तुम भी न , बहुत अच्छा था और आज से हम दोस्त हुए और कृपया करके आप मत कहना ।
सूरज - अच्छा यार , वैसे भी अच्छा रहना चाहिए ।
       फिर दोनों की लंबी बात होने लगी और एक दूसरे से बात करने मे इतना खो गये की समय का पता ही नहीं चला अचानक चांदनी का ध्यान हाथ मे रखे मोबाईल के समय पर जाता अरे यार समय हो गया हैं और हम दोनों हैं कि बात करने मे लगे है यार मैं चलती हूँ आरे यार रुको न चलता हूँ फिर दोनों Class मे जाने के लिए रवाना होते हैं । कालेज की छुट्टी होती है और सूरज इसी बात के उलझन मे फसा है कि मैं एक गांव का लड़का हूँ । मैंने शहर मे पढाई की लेकिन शहर के लड़कों जैसा नहीं हूँ भला इस आधुनिक युग मे शहर की लड़की मुझे पसंद करेगी ये संभव नहीं लगता । सूरज को इस माँडर्न गर्ल फ्रेंड से इश्क हो गया था लेकिन करें तो क्या करें सूरज अक्सर कहता था कि 
       " मेरी सोच नई हैं , लेकिन हमारे संस्कार पुराने हैं
        जो हमें हमारे गांव से मिलते हैं , हमारी परंपरा जो
       हमें दूसरे से अलग बनाती हैं हम शहर मे होकर भी शहर
       के जैसा नहीं हो पाए " 
फिर अगले दिन सूरज कालेज गया लेकिन चांदनी से बात नहीं किया । दोनों पढ़ने मे मसगुल हो गये और सूरज अपने सपनों मे खो गया उसका सपना था कि हमें अपने जिंदगी मे कुछ अलग करना हैं सूरज अपने सपनों मे लग गया ।
      कुछ महिने बीत गये थे सुबह का समय था मौसम बदल रहा था और सूरज इसका मजा ले रहा था तभी उसे ख्याल आया आज फेसबुक की दुनिया मे Login होते है बहुत दिन हो गया हैं उसने मोबाईल निकाला और user id और Password डाला और फेसबुक की दुनिया मे Login हो गया तभी अचानक उसे Suggestions फ्रेंड पर नजर पड़ती हैं उसे ओपन करता हैं वो सेट ये तो चांदनी के Profile हैं
वो समझ जाता है जरूर मेरी Classmate हैं उसने तुरंत Friend request भेजा लेकिन कोई जवाब नही आया फिर उसने Message भेजा तब जाके कहीं जवाब आया Friend accept हो गया लेकिन बात का सिलसिला कुछ दिनों के बाद शुरू हुआ अचानक सूरज अपने Chat मे देखता हैं चांदनी Online हैं उसने बात करना शुरू कर दिया जो थमने का नाम नहीं ले रहा था भला आज के इस डिजिटल दौर मे कौन ऐसा हैं जो इस मौके को गंवाने देता हैं , दोनों मे लंबी बात होने लगी दोनों एक दूसरे से लम्बी Online बातें करते कभी ये उसकी प्रशंसा करते - करते थकता नहीं तो कभी अपनी प्रशंसा करते - करते थकता नहीं अरे यार वो तो मुझे सबसे अच्छा मानती हैं जानते हो क्या बोलती हैं 'अरे यार तुम सबसे अलग हो , कितने प्यारे हो तुमसे अच्छा कोई नहीं ' मैं हँस कर बोल देता अरे यार ये तुम्हारा अहम हैं तुम्हें कुछ ज्यादा ही चांदनी से इश्क हो गया हैं बेटा संभल जा ऐ शहर की लडकी है ऐसी गूल खिलायेगी की तुम इश्क करना भुल जाओगे खैर भगवान को धन्यवाद है  कि दोनों की दोस्ती जम गई दोनों एक अच्छे दोस्त बन गये लेकिन इस दोस्ती का सिलसिला यहाँ नहीं थमा । सूरज ने तय कर लिया कि हम चांदनी से अपने प्यार का इजहार करके रहेंगे लेकिन ये प्यार वाली बात इतनी जल्दी बोलने से हर आशिक कतराता हैं सूरज भी ऐसा ही था उसे डर था की कहीं मेर डिजिटल लव , डिजिटल ब्रेकप मे नहीं बदल जाए लेकिन करे भी तो क्या करें उससे इंतजार हो नहीं रहा था कही ना कही बेचैनी सी हो रही थी प्यार का इजहार करने के लिए और एक दिन मौका देखकर उसने बोल दिया चांदनी मैं तुमसे प्यार करता हूँ ऐ सूनकर  चांदनी बोली अरे यार मै तो कब से सोच रही थी की तुम कब बोलोगे खैर मै भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ अब दोनों के डिजिटल प्यार मे रंग चढ़ने लगा और एक दूसरे से मिलने लगे यहाँ तक की एक दूसरे से शादी करने का वादा भी कर लिए एक दिन चांदनी के घर से Call आता हैँ बेटी चांदनी इसबार की छुट्टी मे हमलोग तुम्हें Surprise देने वाले हैं अब तो बेटी तुम्हारे कालेज की पढाई भी खत्म होने वाली है कुछ माह हैं तो हमलोग ने सोचा तुम्हें Surprise देने का पलान बनाया है जरूर आना अचानक फोन Disconnect हो जाता है इसके तुरंत बाद चांदनी ने सूरज को काँल कि ' अरे यार तुम कहाँ हो कहाँ - कहाँ रहते हो फोन तो मेरी Receive कर लेते अरे बाबा तुम्हें इतना भी अक्ल नहीं ' , अरे यार इतनी जल्दी क्या है , मैं थोड़ा Breakfast बनाने मे व्यस्त था बोले मैडम क्या बात है आज बहुत खुश नजर आ रही हो कोई लौटरी लग गया , नहीं यार तुमको एक Good News देना हैं अगले महीने घर जा रही हूँ माँ का काँल आया था वैसे भी कालेज की छुट्टी हो रही हैं तो सोचे हैं क्यों ना घर से घुम कर चले आते हैं और पिताजी Surprise देने वाले हैं देखकर आते हैं क्या Surprise देनेवाले हैं वैसे तुम जा रहे हो की नहीं , अभी तो सोचे नहीं हैं चलो अच्छा हैं आवो घर से घुम कर तो मिलते हैं कालेज के छुट्टियों का दिन आ गया । चांदनी अपने शहर के लिए रवाना हो गयीं उसे जरा भी एहसास नहीं हो रहा था की हमारी दुनिया बदल रहीं हैं अब सूरज के साथ नहीं किसी और के साथ जुट रही है , वो बहुत खुश थी क्योंकि वो घर आ रही थी खैर उसकी खुशी हकीकत मे बदली गाड़ी आकर प्लेटफार्म पर रुकी उसके घरवाले उसका इंतजार कर रहे थे फिर क्या था सब से मिली और फिर वहाँ से एकसाथ घर के लिए निकलें । घर जाकर फ्रेश होकर खाना - खाकर आराम करने लगी तभी घर मे रखे फोन की रिंग बजने लगती है , उसकी नींद खुल जाती हैं उसको माँ की आवाज सुनाई देतीं है शायद माँ , पिताजी को बुला रही थीं ,खैर फिर सोने लगती हैं तभी उसकी बहन उसके कमरे मे आती हैं ' अरे दीदी तुम अभी तक सोयी हो , नीचे माँ बुला रही हैं पिताजी तुम्हें Surprise देने के लिए बुला रहे हैं जल्दी आवो मैं चलती हूँ वो लड़के वाले आ रहे हो ।
          उसकी तो नींद ही उड़ गई फिर भी सज संवर कर नीचे गई उसके पिताजी और माँ ने बुलाए बेटा यही तो Surprise देने वाले थे तुम्हें । दोनों परिवार मे बातें होने लगी और चांदनी मिलकर अपने कमरे मे चली गई । अगले दिन चांदनी अपने दिल का ख्याल अपने माँ से बताई ।
चांदनी - माँ मै सूरज से शादी करना चाहती हूँ ,लेकिन अभी नहीं हमें अपना सपना पूरा करना हैं , मेरी जिंदगी की तो अभी शुरूआत हुई है , मै आकाश मे उड़ान चाहती हूँ और सूरज भी अपने सपने को पूरा करना चाहता हैं । हम दोनों एक अच्छे दोस्त हैं और एक दूसरे की मदद करते हैं ।
माँ - ये तो अच्छी बात हैं ल़ेकिन सपने देखने और पूरा करने मे बहुत अंतर हैं । इस दुनिया मे कब कोई बदल जाए इसकी गरांटी नहीं हैं , क्या पता सूरज भी बाद मे बदल जाए ।
चांदनी - नहीं माँ , सूरज ऐसा कभी नहीं कर सकता हैं क्योंकि वो एक अच्छा इंसान हैं उसके संस्कार और इंसानियत उसको सबसे अलग बनाती हैं और क्या गरांटी हैं हैं आज हम जिससे शादी करते हैं हमें खुश रखे ।
माँ - बेटी तुम तो सही बात करती हो लेकिन तुम्हारे पिताजी को बताना होगा वो मानेंगे की नहीं ये तो वो ही बतायेंगे ।
चांदनी - तो माँ आप पिताजी को बता दीजिये वो जरूर मानेंगे ।
         अगले दिन चांदनी की माँ एक अच्छा समय देखकर चांदनी के पिताजी से बोल देती हैं ।
माँ - सुनिए जी , वो बेटी बोल रही हैं की हम अभी शादी नहीं कर सकते क्योंकि वो किसी और से शादी करना चाहती हैं ।
पिताजी - आखिर क्यों और वो लड़का कौन है ?
माँ - उसके कालेज का कोई दोस्त है बहुत अच्छा हैं इसलिए अच्छा नहीं है क्योंकि हमारी बेटी उससे प्यार करती हैं इसलिए अच्छा हैं क्योंकि उसके संस्कार उसे अच्छा और अलग बनाता है ।
पिताजी - बात अच्छी हैं लेकिन सिर्फ अच्छा इंसान हो जाने से कुछ नहीं होता आज के इस युग मे पैसा , ऐश्वर्य , नाम भी महत्व रखता है । हमारी बेटी की शादी जिस लड़के से हो रही हैं अच्छा इधकम कमाता हैं , बंगला है , जमीन हैं एक नामी आइटी कंपनी मे Software इंजीनियर हैं और क्या चाहिए । और वह लड़का हम मानते हैं अच्छा हैं लेकिन अभी तो कालेज मे हैं कालेज से बाहर निकलेगा तो सब सपना भुल जाएगा । कितना मुश्किल हैं बाहर जाँब लेना । इसकी क्या गरांटी की अपने पैरों पर खड़ा होगा , अपने जिंदगी मे सफल होगा और हो भी गया तब तक इंतजार नहीं कर सकते हैं क्या पता बाद मे वो चांदनी के साथ रहेगा आजकल के लड़के का क्या पता ? आज ही लड़के वाले को हाँ बोल देते हैं और हमारी बेटी भी तो इंजीनियर हो जाएगी । अपने कालेज की सबसे बेस्ट छात्र और छात्राओं मे से एक हैं और टाँपर भी है तो जाहिर सी बात हैं जाँब भी अच्छे कंपनी मे हो जाएगी तो फिर किस बात की दिक्कत हैं चलिए उससे बात करते हैं ।
चांदनी के माँ और उसके पिताजी चांदनी के कमरे मे जाते हैं । वो बैठी हुई और अपने प्यार और सपने की दुनिया मे खोई थी ।
पिताजी - बेटी तुम्हारा कहना तो सही है लेकिन क्या यह लड़का तुम्हारे लिए उचित हैं ?
चांदनी - जी पिताजी , हम एक अच्छे दोस्त हैं और एक दूसरे की मदद करते है हमने फैसला कर लिए है की हम पहले अपने प्यार और सपने को हकीकत मे बदलेगे ।
पिताजी - लेकिन उसका सपना क्या है , वो इतनी जल्दी पूरा कर पायेगा और क्या गरांटी हैं सफल हो जाएगा ?
चांदनी - ऐसा कभी नहीं हो सकता की वो असफल हो जाए क्योंकि उसने असफलता से ही सफलता की नीव रखी है । उसके सपने सिर्फ मेरे और उसके लिए नहीं हैं उस 80% अबादी के लिए हैं जो आज भी एक उम्मीद के सहारे जिंदगी गुजार रही है । एक ऐसा Startup जो 80% अबादी को मुनाफे मे तब्दील कर दे ।
        " आज भी इस चलती का नाम आनलाइन जिंदगी मे किसान अधूरे है इनको आनलाइन दुनिया मे लाना "
पिताजी - ये सब आसान नहीं है हमने तुम्हारी शादी तय कर दिये हैं एक दूसरे को अच्छे से समझ लो ।
  ये सुनकर चांदनी के होश उड़ गये लेकिन हो भी क्या सकता
है कालेज की पढ़ाई समाप्त हो गई चांदनी की शादी हो गई और सूरज अपने सपने को हकीकत मे बदलने के लिए दूसरे शहर चला गया ।
     आज भी चांदनी चलती का नाम आनलाइन जिंदगी मे सिर्फ उसके लिए ही आनलाइन रहती हैं उसके हौसले को बढ़ा सके और उसके सपने मे साथ दे सके ।
     ये कहानी एक ऐसे दो इंजीनियर की थी जिन्हें कालेज मे ही प्यार हो जाता और एक दूसरे से बिछड़ जाते हैं लेकिन चलती के नाम आनलाइन जिंदगी मे एक दूसरे से बातें करते है और एक दूसरे का हौसला बढ़ाते है ।
       
    
धन्यवाद
अमलेश प्रसाद ' अमलेश कुमार '

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