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मार्च 18, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

💔 रिश्ते: प्रेम, भय और आज की युवा सोच

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हाल ही में  एक राज्य में हुई  घटना और नीली ड्रम का प्रकरण पुरुषों के बीच शादी को लेकर एक गहरा डर और असुरक्षा का भाव उत्पन्न कर रहा है। इसने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है कि — क्या हम सच में अपनी युवा पीढ़ी को नहीं समझ पा रहे हैं, या समझ कर भी अनदेखा कर रहे हैं? हम आज भी उस पुरानी रुढ़िवादी सोच को अपने दिमाग से निकाल नहीं पाए हैं। सिर्फ समाज में अपनी खोखली छवि बनाए रखने के लिए हम वास्तविकता से आंखें मूंद लेते हैं। अगर हम मानते हैं कि युवा पीढ़ी को प्रेम और रिश्तों की समझ नहीं है, तो क्या यह हमारी जिम्मेदारी नहीं बनती कि हम उन्हें समझाएँ? "प्रेम त्याग और समर्पण है। यदि तुममें यह भावना है, तो प्रेम करो। यदि नहीं है, तो जिससे प्रेम करते हो, उसी से विवाह  करो।" अब यहाँ एक और बात समझने की है — क्या तुम कानूनी रूप से 18 और 21 वर्ष के हो? क्या तुम्हें सही और गलत की समझ है? क्या तुम जीवन को तार्किक रूप से समझने लगे हो? यदि हाँ, तो भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 तुम्हें यह मौलिक अधिकार देता है कि तुम अपनी पसंद से शादी कर सको। यदि कोई इसमें बाधा डालता है, तो तुम प्रशासन से अपनी सुरक...

किसानों के दहलीज पर सूखे की समस्या

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हाल ही में भारत के मौसम विज्ञान विभाग ने केन्द्र सरकार और राज्य सरकार को पर्याप्त अाॅकड़े सौपें है कि किसानों के दहलीज पर सूखे की समस्या आने वाली है। इस बात से कहीं न कहीं केन्द्र सरकार और हर राज्य की सरकारे अवगत है लेकिन किसी को भी सूखे की चिंता नहीं है । हर कोई अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति में लगा हुआ है। भला किसानों को इस बात से कौन अवगत कराये की उनके दरवाजे पर सूखे की समस्या दस्तक दे रही हैं। हमारा देश विश्व की वृष्टि का 4%  भाग प्राप्त करता है। फिर भी भारत में जलापूर्ति व जल की कमी एक समस्या है। एक ओर इजरायल जैसे 25  सेमी. औसत वार्षिक वर्षा वाले देश में जल का कोई अभाव नहीं है,  दूसरी ओर 114 सेमी. औसत वार्षिक वर्षा वाले हमारे देश मे प्रतिवर्ष किसी न किसी भाग में सूखा अवश्य पड़ता है। भारत में सूखे की समस्या से हर वर्ष किसान और आम जन-जीवन प्रभावित होता है। शहरों में पीने के लिए पानी की किल्लत हो जाती है। हम इस समस्या से निदान के लिए पानी के टैंकरों का प्रयोग या रेल पानी टैंकर का प्रयोग कर इसकी पूर्ति करते हैं लेकिन हमे कृषि के लिए पर्याप्त मात्र...

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