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हरिद्वार : देवभूमि उत्तराखंड

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हरिद्वार: हरि का द्वार अर्थात् भगवान का द्वार !   दोस्तों मेरा ये सफर हरिद्वार का था फिर आगे ऋषिकेश का ।  इस कड़ी में आप को हरिद्वार से रूबरू करवाते हैं। आप का कीमती  समय बर्बाद ना करते हुए चलिए सफर की शुरुआत आप के शहर से  करते हैं।       आप जिस भी शहर से आते हो यहाॅ आने के लिए सीधा या अल्टरनेट रुप से रेल की सुविधा है की नहीं ये देख लें। यदि  आप हवाई सफर का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो फिर दिल्ली या  देहरादून आ सकते हैं और फिर वहां से यहां आ सकते हैं। यहां आने  के बाद आपको रहने के लिए कम बजट में आश्रम मिल जायेगा  जिसमें आपको एक कमरा उपलब्ध कराया जाएगा। ज्यादा बजट  में होटल की भी सुविधा है । आप अपने बजट के अनुसार ठहर  सकते हैं। ऑनलाइन गूगल मैप से भी अपने नजदीकी आश्रम और  होटल वालों से संपर्क कर सकते हैं।         यहां आने के बाद आपको यहां के प्रसिद्ध स्थल हर की पौड़ी आना होगा। यहां आने के लिए आपको रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड दोनों  जगह से आटो की सुविधा मिल जायेगा। आप यहां  • गंगा स्नान कर सकते हैं।  • सायंकाल गंगा आरती देख सकते हैं। नोट : गंगा घाट स्थल को साफ रखने की जिम्मेदारी पर्यटक की  भी

नेता

               [  नेता  ] " पाँच साल पर आता हैं वह   खुद फकीर बन जाता हैं वह   सब को लालच दे जाता हैं वह   हर गली , हर मुहल्ले , हर मोड़   पर जुमलेबाजी कर जाता हैं वह   बताओ क्या कहलाता है वह           हर जाती , हर वर्ग को बाँट जाता हैं वह           वोट की राजनीति कर जाता हैं वह           पाँच साल पर आता हैं वह           खुद फकीर बन जाता हैं वह            बताओ क्या कहलाता हैं वह हम भी कितने अनजान बनते जाती - धर्म पर निशान करते चंद लालचो मे बिक जाते फिर अपने भूल पर पछतावा करते हर जुमलेबाज को फकीर समझते   और फिर क्यों बिक जाते        " ( ✍ अमलेश प्रसाद )                                      

बदलता गाँव , हक मांगता गाँव : युवा सोच

युवा सोच और नई तकनीक के बदौलत आज गांव भी तरक्की का एक नया आयाम लिख रहा हैं । गांव की तस्वीर भी बदल रही हैं आज शिक्षा के लिए भी गांव के युवाओं में एक नया जोश हैं उनकी सोच को काबिले तारीफ करनी होगी की अपने सपने आज खुद बुन रहे हैं और इसे पूरा करने के लिए पूरी लगन से मेहनत कर रहे हैं ।                 जहाँ गांव कई अभावों से ग्रसित था और आज भी  गाँवों मे कई समस्या हैं फिर भी युवाओं में एक जोश हैं कुछ कर गुजरने का और समस्या से लड़कर आगे बढ़ने की ताकत हैं । शायद कोई ऐसा क्षेत्र हो जहाँ गांव के युवा अपनी दस्तक नहीं दिए है। सारे अभावो को पार कर एक नया आयाम लिख रहे हैं ।                   सरकार की बात करें तो सरकार तमाम दावें करती हैं लेकिन हकीकत कुछ और होता हैं । चुनावी वादों और जूमलों की तो गांव के युवाओं पर ऐसे होते हैं जैसे मानो आज कुबेर देवता धन की बारिश कर रहे हैं सब सपने जैसा दिखता हैं । हर राजनीतिक पार्टियां अपने तरफ से लुभाने के हरेक दावे करती हैं और पूरी ताकत झोंक देती हैं और जो पार्टियां लुभाने में कामयाब होती है उनकी सरकार बनती हैं ।                हमारी मिडिया बंधु वादे औ

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