संदेश

नवंबर 14, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

💔 रिश्ते: प्रेम, भय और आज की युवा सोच

चित्र
हाल ही में  एक राज्य में हुई  घटना और नीली ड्रम का प्रकरण पुरुषों के बीच शादी को लेकर एक गहरा डर और असुरक्षा का भाव उत्पन्न कर रहा है। इसने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है कि — क्या हम सच में अपनी युवा पीढ़ी को नहीं समझ पा रहे हैं, या समझ कर भी अनदेखा कर रहे हैं? हम आज भी उस पुरानी रुढ़िवादी सोच को अपने दिमाग से निकाल नहीं पाए हैं। सिर्फ समाज में अपनी खोखली छवि बनाए रखने के लिए हम वास्तविकता से आंखें मूंद लेते हैं। अगर हम मानते हैं कि युवा पीढ़ी को प्रेम और रिश्तों की समझ नहीं है, तो क्या यह हमारी जिम्मेदारी नहीं बनती कि हम उन्हें समझाएँ? "प्रेम त्याग और समर्पण है। यदि तुममें यह भावना है, तो प्रेम करो। यदि नहीं है, तो जिससे प्रेम करते हो, उसी से विवाह  करो।" अब यहाँ एक और बात समझने की है — क्या तुम कानूनी रूप से 18 और 21 वर्ष के हो? क्या तुम्हें सही और गलत की समझ है? क्या तुम जीवन को तार्किक रूप से समझने लगे हो? यदि हाँ, तो भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 तुम्हें यह मौलिक अधिकार देता है कि तुम अपनी पसंद से शादी कर सको। यदि कोई इसमें बाधा डालता है, तो तुम प्रशासन से अपनी सुरक...

बच्चों का भविष्य बेहतर , देश बेहतर :) बच्चों की आवाज बाल दिवस पर

आज भी हमारा देश भूखमरी में 100 वाँ स्थान पर हैं । हम तरक्की की सीढी तो चढ़ रहे हैं लेकिन कहीं ना कहीं बच्चे को खो रहे हैं जो हमारे देश के नींव हैं । हाल ही में एक बच्चे की मृत्यु राष्ट्रीय खबर बनी फिर भी सरकार सबक नहीं लेती । उनको एक उचित शिक्षा , भोजन , वस्त्र या आवास उपलब्ध नहीं करा पाती तो समझिए हमारी तरक्की बेकार हैं , हम आग आगेे तो बढ़ रहे हैं लेकिन पीछे - पीछे देश का आनेवाला भविष्य नष्ट कर रहे हैं । ये पंक्तियाँ व्याख्यान कर रही हैं । शहर से दूर  अभाव में रह रहे बच्चे के व्यथा की । " कई दिनों से चूल्हे बंद पड़े हैं भूख लगीं हैं जोड़ से आधार कार्ड लिंक नहीं हुए हैं डिलर के दुकान में कई दिनों से चूल्हे बंद पड़े हैं भूख लगीं हैं जोड़ से भात - भात कह ( कहकर ) माँ के आँचल में छुप जाता माँ की लोरी सून - सून ( सुनकर ) एक दो शाम गुजार लेता कई दिनों से चूल्हे बंद पड़े हैं भूख लगीं हैं जोड़ से भूखे पेट को झूठी अभिलाषा दिलाता दाने - दाने के लिए , डीलर के दरवाजे का चक्कर लगाता मीड - डे मील के भरोसे जी लेता एक दो शाम माँ की लोरी सून गुजार लेता शिक्षा से वंचित हैं म...

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भारत में अधिकतर कृषकों के लिए कृषि जीवन - निर्वाह का एक सक्षम स्त्रोत नहीं रही हैं । क्यों ?

डिजिटल गर्ल फ्रेंड( Digital Girlfriend )

शिक्षा का राजनीतिकरण (Politicization Of Education)

किसानों के बिना न्यू इंडिया का सपना अधूरा है ।