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💔 रिश्ते: प्रेम, भय और आज की युवा सोच

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हाल ही में  एक राज्य में हुई  घटना और नीली ड्रम का प्रकरण पुरुषों के बीच शादी को लेकर एक गहरा डर और असुरक्षा का भाव उत्पन्न कर रहा है। इसने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है कि — क्या हम सच में अपनी युवा पीढ़ी को नहीं समझ पा रहे हैं, या समझ कर भी अनदेखा कर रहे हैं? हम आज भी उस पुरानी रुढ़िवादी सोच को अपने दिमाग से निकाल नहीं पाए हैं। सिर्फ समाज में अपनी खोखली छवि बनाए रखने के लिए हम वास्तविकता से आंखें मूंद लेते हैं। अगर हम मानते हैं कि युवा पीढ़ी को प्रेम और रिश्तों की समझ नहीं है, तो क्या यह हमारी जिम्मेदारी नहीं बनती कि हम उन्हें समझाएँ? "प्रेम त्याग और समर्पण है। यदि तुममें यह भावना है, तो प्रेम करो। यदि नहीं है, तो जिससे प्रेम करते हो, उसी से विवाह  करो।" अब यहाँ एक और बात समझने की है — क्या तुम कानूनी रूप से 18 और 21 वर्ष के हो? क्या तुम्हें सही और गलत की समझ है? क्या तुम जीवन को तार्किक रूप से समझने लगे हो? यदि हाँ, तो भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 तुम्हें यह मौलिक अधिकार देता है कि तुम अपनी पसंद से शादी कर सको। यदि कोई इसमें बाधा डालता है, तो तुम प्रशासन से अपनी सुरक...

गांधी आश्रम

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  [ गांधी आश्रम, भित्तिहरवा,  पं. चम्पारण , बिहार ]     " पर्यटन आदमी को बुद्धिमान बनाता है। " पर्यटन पर उक्त पंक्तियाँ थॉमस जैफरसन द्वारा युगीन यथार्थ पृष्ठभूमि  में लिखी गई हैं। वर्तमान युग में "गांधी न होते तो आजाद भारत कैसा  होता " ये हमने कभी सोचा नहीं शायद इसलिए गांधी के महत्त्व को  आज की कुछ युवा पीढ़ी भूल रही है। सन् 1916 का वह दिन जब कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में पंडित  राजकुमार शुक्ल ने, किसानों के दयनीय स्थिति से महात्मा गांधी को  रुबरु करायें । तथा बापू को चम्पारण आने का निमंत्रण दिया । तत्पश्चात् 10 अप्रैल 1917 को बापू ने पटना- मुजफ्फरपुर रेलमार्ग  के रास्ते चम्पारण पहुंचे। उस ऐतिहासिक जगह जहाँ बापू ने अपना  'कर्मभूमि' बनाया उसे आज हमलोग 'गांधी आश्रम' के नाम से जानते  हैं। यह गांधी आश्रम बिहार के पश्चिमी चम्पारण जिला के बेतिया -  नरकटियागंज रास्ते में हैं। यहाँ आप पटना से बेतिया या गोरखपुर  (यूपी) से बेतिया भी आसानी से रेलसेवा था बससेवा द्वारा आ सकते  हैं। यह वहीं जगह है जहाँ गांधी जी सर्वप्रथम किसानों...

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