हरिद्वार : देवभूमि उत्तराखंड

चित्र
हरिद्वार: हरि का द्वार अर्थात् भगवान का द्वार !   दोस्तों मेरा ये सफर हरिद्वार का था फिर आगे ऋषिकेश का ।  इस कड़ी में आप को हरिद्वार से रूबरू करवाते हैं। आप का कीमती  समय बर्बाद ना करते हुए चलिए सफर की शुरुआत आप के शहर से  करते हैं।       आप जिस भी शहर से आते हो यहाॅ आने के लिए सीधा या अल्टरनेट रुप से रेल की सुविधा है की नहीं ये देख लें। यदि  आप हवाई सफर का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो फिर दिल्ली या  देहरादून आ सकते हैं और फिर वहां से यहां आ सकते हैं। यहां आने  के बाद आपको रहने के लिए कम बजट में आश्रम मिल जायेगा  जिसमें आपको एक कमरा उपलब्ध कराया जाएगा। ज्यादा बजट  में होटल की भी सुविधा है । आप अपने बजट के अनुसार ठहर  सकते हैं। ऑनलाइन गूगल मैप से भी अपने नजदीकी आश्रम और  होटल वालों से संपर्क कर सकते हैं।         यहां आने के बाद आपको यहां के प्रसिद्ध स्थल हर की पौड़ी आना होगा। यहां आने के लिए आपको रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड दोनों  जगह से आटो की सुविधा मिल जायेगा। आप यहां  • गंगा स्नान कर सकते हैं।  • सायंकाल गंगा आरती देख सकते हैं। नोट : गंगा घाट स्थल को साफ रखने की जिम्मेदारी पर्यटक की  भी

गांधी आश्रम

  [ गांधी आश्रम, भित्तिहरवा, पं. चम्पारण , बिहार ]


    " पर्यटन आदमी को बुद्धिमान बनाता है। "


पर्यटन पर उक्त पंक्तियाँ थॉमस जैफरसन द्वारा युगीन यथार्थ पृष्ठभूमि

 में लिखी गई हैं। वर्तमान युग में "गांधी न होते तो आजाद भारत कैसा

 होता " ये हमने कभी सोचा नहीं शायद इसलिए गांधी के महत्त्व को 

आज की कुछ युवा पीढ़ी भूल रही है।


सन् 1916 का वह दिन जब कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में पंडित 

राजकुमार शुक्ल ने, किसानों के दयनीय स्थिति से महात्मा गांधी को 

रुबरु करायें । तथा बापू को चम्पारण आने का निमंत्रण दिया ।

तत्पश्चात् 10 अप्रैल 1917 को बापू ने पटना- मुजफ्फरपुर रेलमार्ग

 के रास्ते चम्पारण पहुंचे। उस ऐतिहासिक जगह जहाँ बापू ने अपना 

'कर्मभूमि' बनाया उसे आज हमलोग 'गांधी आश्रम' के नाम से जानते 

हैं।

यह गांधी आश्रम बिहार के पश्चिमी चम्पारण जिला के बेतिया - 

नरकटियागंज रास्ते में हैं। यहाँ आप पटना से बेतिया या गोरखपुर 

(यूपी) से बेतिया भी आसानी से रेलसेवा था बससेवा द्वारा आ सकते 

हैं।

यह वहीं जगह है जहाँ गांधी जी सर्वप्रथम किसानों से मिलकर उनकी 

पीड़ा को सूना और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ चम्पारण सत्याग्रह

 का आगाज किया था। गांधी जी कहते है कि

         Pic Source : World Book Fair 2024


" आशा अमर है उसकी आराधना कभी निष्फल नहीं होती।"


इसी आशा के साथ उन्होंने आत्मनिर्भर तथा स्वालंबी भारत के 

निर्माण का सपन देखा। जिसकी शुरुआत यहाँ - सूत कताई के द्वारा 

किया। जिसे आज भी यहाँ देख सकते है।

शिक्षा को लेकर उनकी सोच की झलक यहाँ के बालिका विद्यालय में 

देखा जा सकता हैं। कैसे अपनी मातृभाषा में मूलभूत शिक्षा' के साथ 

खेलकूद क्रियाकलाप द्वारा बच्चे शिक्षित हो रहे हैं। आगे चलकर यहाँ 

बालिका विद्यालय और एक पार्क का निर्माण हुआ ।

इस आश्रम से शुरू हुई 'महिला सशक्तिकरण' और स्वच्छलता' की 

झलक पूरे बिहार और देश में आजकल दिख रही है।

हमें आज भी यहाँ अहम कार्य कसे की जरूरत हैं। पंडई नही जो 

भितिहरवा ग्राम के नजदीक है। इसे पहि गांधी के प्रतिमा के साथ 

सम्मिलित कर "अहिंसा धाम "करके इस जगह को चौमुखी विकसित 

किया जाए। जहाँ वर्धा शिक्षा की परिकलना साकार हो, बालक - 

बालिका को मूलभूत शिक्षा और बेहतर मिलें।

पर्यटक गांधी जी के अहिंसा को समझ सके इसके लिए 'अहिंसा 

पार्क' का निर्माण किया जाए जो 'अहिंसा थीम पर आधारित हो। 

जिसमें गांधी जी के चंपारण आगमन से सत्याग्रह तक का वर्णन हो। 

जिसके द्वारा हम पर्यटक को गांधी के अहिंसा और त्याग से परिचित 

करा सके।

वहीं आत्मनिर्भर बनाने के गांधी के सपने सून कटाई, खादी को 

जिविका और स्टार्टअप बिहार से जोड़कर इसमें और तेजी ला सकते 

हैं। जिससे गांधी के सपनों का भारत बना सकते हैं। 

यदि इस कार्य को हम सफलतापूर्वक कर लेते हैं तो उत्तर बिहार के 

पश्चिम में स्थित 'गांधी आश्रम ' पर्यटक को उत्तर बिहार को 'बाढ़ से 

निकालकर 'गांधी का आश्रम से परिचित' करायेगा ।

राजनीतिक नेता पटना के राजभवन से निकलकर यहाँ शपथ लेते हैं 

तो मिडिया के द्वारा यहाँ की छवि पूरे देश और विश्व को गांधी का 

आश्रम से परिचित करायेगा। इस निष्कर्ष पर हम पहुँचते है कि इन 

सभी कार्यों से पर्यटक गतिविधियाँ यहाँ भी बढ़ेगी जो सामाजिक, 

राजनीतिक और अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभायेगी ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भारत में अधिकतर कृषकों के लिए कृषि जीवन - निर्वाह का एक सक्षम स्त्रोत नहीं रही हैं । क्यों ?

डिजिटल गर्ल फ्रेंड( Digital Girlfriend )

शिक्षा का राजनीतिकरण (Politicization Of Education)

किसानों के बिना न्यू इंडिया का सपना अधूरा है ।