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हरिद्वार : देवभूमि उत्तराखंड

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हरिद्वार: हरि का द्वार अर्थात् भगवान का द्वार !   दोस्तों मेरा ये सफर हरिद्वार का था फिर आगे ऋषिकेश का ।  इस कड़ी में आप को हरिद्वार से रूबरू करवाते हैं। आप का कीमती  समय बर्बाद ना करते हुए चलिए सफर की शुरुआत आप के शहर से  करते हैं।       आप जिस भी शहर से आते हो यहाॅ आने के लिए सीधा या अल्टरनेट रुप से रेल की सुविधा है की नहीं ये देख लें। यदि  आप हवाई सफर का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो फिर दिल्ली या  देहरादून आ सकते हैं और फिर वहां से यहां आ सकते हैं। यहां आने  के बाद आपको रहने के लिए कम बजट में आश्रम मिल जायेगा  जिसमें आपको एक कमरा उपलब्ध कराया जाएगा। ज्यादा बजट  में होटल की भी सुविधा है । आप अपने बजट के अनुसार ठहर  सकते हैं। ऑनलाइन गूगल मैप से भी अपने नजदीकी आश्रम और  होटल वालों से संपर्क कर सकते हैं।         यहां आने के बाद आपको यहां के प्रसिद्ध स्थल हर की पौड़ी आना होगा। यहां आने के लिए आपको रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड दोनों  जगह से आटो की सुविधा मिल जायेगा। आप यहां  • गंगा स्नान कर सकते हैं।  • सायंकाल गंगा आरती देख सकते हैं। नोट : गंगा घाट स्थल को साफ रखने की जिम्मेदारी पर्यटक की  भी

Temple :)

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    ।। सर्व धर्म समभाव   ।।   धर्म हमें नैतिक बनाता हैं कि हम अपने धर्म के साथ - साथ सभी धर्मों का सम्मान करें । कट्टरता को त्याग कर वैचारिक बने।      स्वामी विवेकानंद जी के शिकागो में हुये 'विश्व धर्म संसद ' में दिये गये विचार से  पश्चिम देशों में भारत के प्रति जो पूर्वधारणा थी वो टूट गयी तथा वो भारत के बदलते विचार , यहाँ कि संस्कृति ,  सभ्यता ,  दयालुता तथा हमारी निडरता और ज्ञान से रूबरू हुये ।  अध्यात्मवाद + भौतिकवाद [ संतुलित ]  = विश्व कल्याण  ' वर्तमान धर्म संसद 'आखिर कहाँ पीछे छूट रहा हैं। ये विचारने योग्य बात हैं क्योंकि ये ' धर्म संसद ' की नकारात्मक छवि पेश कर रही हैं। 

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