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हरिद्वार : देवभूमि उत्तराखंड

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हरिद्वार: हरि का द्वार अर्थात् भगवान का द्वार !   दोस्तों मेरा ये सफर हरिद्वार का था फिर आगे ऋषिकेश का ।  इस कड़ी में आप को हरिद्वार से रूबरू करवाते हैं। आप का कीमती  समय बर्बाद ना करते हुए चलिए सफर की शुरुआत आप के शहर से  करते हैं।       आप जिस भी शहर से आते हो यहाॅ आने के लिए सीधा या अल्टरनेट रुप से रेल की सुविधा है की नहीं ये देख लें। यदि  आप हवाई सफर का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो फिर दिल्ली या  देहरादून आ सकते हैं और फिर वहां से यहां आ सकते हैं। यहां आने  के बाद आपको रहने के लिए कम बजट में आश्रम मिल जायेगा  जिसमें आपको एक कमरा उपलब्ध कराया जाएगा। ज्यादा बजट  में होटल की भी सुविधा है । आप अपने बजट के अनुसार ठहर  सकते हैं। ऑनलाइन गूगल मैप से भी अपने नजदीकी आश्रम और  होटल वालों से संपर्क कर सकते हैं।         यहां आने के बाद आपको यहां के प्रसिद्ध स्थल हर की पौड़ी आना होगा। यहां आने के लिए आपको रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड दोनों  जगह से आटो की सुविधा मिल जायेगा। आप यहां  • गंगा स्नान कर सकते हैं।  • सायंकाल गंगा आरती देख सकते हैं। नोट : गंगा घाट स्थल को साफ रखने की जिम्मेदारी पर्यटक की  भी

कहीं ऐसा तो नहीं पहले के सरकार जैसा आज की सरकार भी किसानों को उलझाय रखना चाहती हैं ।

     आज हम दुनिया को टेक्नॉलोजी के मामले मे टक्कर दे रहे है । हमारी सरकार बुलेट ट्रेन या मिसाइल हो चाहे फाइटर प्लेन हो हम दूसरे देश से आगे आने के लिए बहुत प्रयत्न कर रहे है । बहुत अच्छी बात है कि हमारी नीति सफल हो रहीं है और विश्व पटल पर हमारी छवी सबसे बेहतर बन के उभरी हैं ।       लेकिन किसानों की स्थिति को अच्छा करने के लिए  अमेरिका , यूरोप या इजरायल की वह टेक्नॉलोजी या नीति भारत क्यों नहीं आ रही है जो हमारे देश के किसानों के लिए कारगर हो । हम सिर्फ बुलेट ट्रेन का ही नकल क्यों कर रहे है ? वहाँ के किसानों के लिए बनी नीतियों पर हम गौर क्यों नही करते है ? यदि सरकार को पता है तो फिर हम अमल कब करेंगे ? कहीं ऐसा तो नहीं किसानों के स्थिति को बेहतर करने के रेस मे और देश के मुकाबले हम अपने आप को पीछे धकेल रहे और रेस मे हिस्सा नहीं ले रहे है । हमे इस सोच को बदलना होगा और हर क्षेत्र के जैसा इसमें भी बदलाव लाना होगा क्योंकि हमारे देश के किसानों की स्थिति आज जैसी है वैसी बहुत पहले नहीं थी कहीं ना कहीं हम इन मामलों मे पीछे होते जा रहे है ।       जहाँ अन्य देश के किसानों की स्थिति बेहतर है वहीं

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