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💔 रिश्ते: प्रेम, भय और आज की युवा सोच

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हाल ही में  एक राज्य में हुई  घटना और नीली ड्रम का प्रकरण पुरुषों के बीच शादी को लेकर एक गहरा डर और असुरक्षा का भाव उत्पन्न कर रहा है। इसने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है कि — क्या हम सच में अपनी युवा पीढ़ी को नहीं समझ पा रहे हैं, या समझ कर भी अनदेखा कर रहे हैं? हम आज भी उस पुरानी रुढ़िवादी सोच को अपने दिमाग से निकाल नहीं पाए हैं। सिर्फ समाज में अपनी खोखली छवि बनाए रखने के लिए हम वास्तविकता से आंखें मूंद लेते हैं। अगर हम मानते हैं कि युवा पीढ़ी को प्रेम और रिश्तों की समझ नहीं है, तो क्या यह हमारी जिम्मेदारी नहीं बनती कि हम उन्हें समझाएँ? "प्रेम त्याग और समर्पण है। यदि तुममें यह भावना है, तो प्रेम करो। यदि नहीं है, तो जिससे प्रेम करते हो, उसी से विवाह  करो।" अब यहाँ एक और बात समझने की है — क्या तुम कानूनी रूप से 18 और 21 वर्ष के हो? क्या तुम्हें सही और गलत की समझ है? क्या तुम जीवन को तार्किक रूप से समझने लगे हो? यदि हाँ, तो भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 तुम्हें यह मौलिक अधिकार देता है कि तुम अपनी पसंद से शादी कर सको। यदि कोई इसमें बाधा डालता है, तो तुम प्रशासन से अपनी सुरक...

कहीं ऐसा तो नहीं पहले के सरकार जैसा आज की सरकार भी किसानों को उलझाय रखना चाहती हैं ।

     आज हम दुनिया को टेक्नॉलोजी के मामले मे टक्कर दे रहे है । हमारी सरकार बुलेट ट्रेन या मिसाइल हो चाहे फाइटर प्लेन हो हम दूसरे देश से आगे आने के लिए बहुत प्रयत्न कर रहे है । बहुत अच्छी बात है कि हमारी नीति सफल हो रहीं है और विश्व पटल पर हमारी छवी सबसे बेहतर बन के उभरी हैं ।       लेकिन किसानों की स्थिति को अच्छा करने के लिए  अमेरिका , यूरोप या इजरायल की वह टेक्नॉलोजी या नीति भारत क्यों नहीं आ रही है जो हमारे देश के किसानों के लिए कारगर हो । हम सिर्फ बुलेट ट्रेन का ही नकल क्यों कर रहे है ? वहाँ के किसानों के लिए बनी नीतियों पर हम गौर क्यों नही करते है ? यदि सरकार को पता है तो फिर हम अमल कब करेंगे ? कहीं ऐसा तो नहीं किसानों के स्थिति को बेहतर करने के रेस मे और देश के मुकाबले हम अपने आप को पीछे धकेल रहे और रेस मे हिस्सा नहीं ले रहे है । हमे इस सोच को बदलना होगा और हर क्षेत्र के जैसा इसमें भी बदलाव लाना होगा क्योंकि हमारे देश के किसानों की स्थिति आज जैसी है वैसी बहुत पहले नहीं थी कहीं ना कहीं हम इन मामलों मे पीछे होते जा रहे है ।  ...

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