हरिद्वार: हरि का द्वार अर्थात् भगवान का द्वार ! दोस्तों मेरा ये सफर हरिद्वार का था फिर आगे ऋषिकेश का । इस कड़ी में आप को हरिद्वार से रूबरू करवाते हैं। आप का कीमती समय बर्बाद ना करते हुए चलिए सफर की शुरुआत आप के शहर से करते हैं। आप जिस भी शहर से आते हो यहाॅ आने के लिए सीधा या अल्टरनेट रुप से रेल की सुविधा है की नहीं ये देख लें। यदि आप हवाई सफर का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो फिर दिल्ली या देहरादून आ सकते हैं और फिर वहां से यहां आ सकते हैं। यहां आने के बाद आपको रहने के लिए कम बजट में आश्रम मिल जायेगा जिसमें आपको एक कमरा उपलब्ध कराया जाएगा। ज्यादा बजट में होटल की भी सुविधा है । आप अपने बजट के अनुसार ठहर सकते हैं। ऑनलाइन गूगल मैप से भी अपने नजदीकी आश्रम और होटल वालों से संपर्क कर सकते हैं। यहां आने के बाद आपको यहां के प्रसिद्ध स्थल हर की पौड़ी आना होगा। यहां आने के लिए आपको रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड दोनों जगह से आटो की सुविधा मिल जायेगा। आप यहां • गंगा स्नान कर सकते हैं। • सायंकाल गंगा आरती देख सकते हैं। नोट : गंगा घाट स्थल को साफ रखने की जिम्मेदारी पर्यटक की भी
Meaning Of Love .
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
" सारे अरमान अभी बाकी हैं
वर्षों के हम दोनों के ख्वाब अभी बाकी हैं
इतनी जल्दी क्यों हो , प्यार में
अभी तो प्यार करने की पूरी उम्र हमारी बाकी हैं .." ( अमलेश )
" Love is not game and It is not race "
It is based on fillings , humanity , honesty
and reliance .
Reliance:- Without reliance It can not redeem a life of love .
Fillings :- Without fillings . Love is not possible . Only compromise but compromise love do not outstay a long time .
Honesty :- This line honesty is best policy said that every people but does not apply in love , this word just side in love again start . Please importance this line again start .
Humanity :- Humanity is important . Without humanity , people is not people . It is animalism .
Thanks Regards .
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट
भारत में अधिकतर कृषकों के लिए कृषि जीवन - निर्वाह का एक सक्षम स्त्रोत नहीं रही हैं । क्यों ?
भारत एक कृषि प्रधान देश हैं जाहिर सी बात हैँ कि यहाँ की अधिक अबादी कृषि पर निर्भर हैं और आजादी से पहले भी थी । यह अबादी आज भी और आजादी से पहले भी अपना जीवन - निर्वाह कृषि से करती थी लेकिन यह अधिकतर कृषकों के लिए जीवन - निर्वाह का एक सक्षम स्त्रोत नहीं रही हैं । आजादी से पहले भारतीय किसानों को अंग्रेजों के द्वारा करीब 150 साल किसी न किसी फसल के लिए मजबूर किया गया । जैसे - नील की खेती , पटसन , चाय , कपास इत्यादि इसका खामियाजा भारतीय किसानों को भुगतना पड़ा उनकी जमीन बंजर हो गई और और दूसरी फसल नहीं होती थी जिसके कारण इनका जीवन - निर्वाह दुर्लभ हो गया और देश के कई भागों में अकाल पड़ गया । जिसमें बंगाल मुख्य था । ऊपर से अंग्रेजों के द्वारा भारतीय किसानों के फसलों पर लगाया गया लगान ( कर ) वसुली से तंग आकर कृषि से मुँह मोड़ लिए क्योंकि अब जीवन - निर्वाह करना मुश्किल हो गया और अंततः पलायन कर गये । 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ तो देश के किसानों में खुशी की लहर आ गयीं और एक उम्मीद लेकर अपने गाँव और खेतों की ओर लौट आयें । पुरी लगन औ
डिजिटल गर्ल फ्रेंड( Digital Girlfriend )
यह कहानी 15 मई 2017 को प्रतिलिपि Online Magazine में Published हुआ था । जिसे 4000 से भी ज्यादा पाठकों द्वारा पढ़ा गया और यह कहानी टाँप 20 कहानियों में चयनित हुई थी ।आज मै अपने द्वारा लिखित कहानी 'डिजिटल गर्ल फ्रेंड ' अपने Blog पर Published कर रहा हूँ । आज इस आधुनिक और सोशल मीडिया के युग में भला कौन पीछा रहना चाहता हैं । हमारी दोस्ती की पाठशाला यही से शुरुआत होती हैं , इसी सोशल मीडिया युग की अनोखी कहानी है , डिजिटल गर्ल फ्रेंड सूरज और चांदनी दोनों एक छोटे शहर से निकल कर झीलों की नगरी ' भोपाल ' मे उच्च शिक्षा ग्रहण करने आये । दोनों एक नामी इंजीनियरिंग कालेज मे नामांकन लिए यही दोनों की मुलाकात कालेज के कैंटीन मे होती हैं । सूरज - आप का नाम क्या हैं आप को कालेज मे कभी देखा नहीं ? चांदनी - मैं इसी माह से कालेज आ रही हूँ शायद आप नहीं देखे हो , वैसे मेरा नाम चांदनी है और आपका । सूरज - मेरा नाम सूरज हैं । चांदनी - आप किस ब्रांच के हैं । सूरज - मेरा EC ब्रांच हैं और आपका । चांदनी - मेरा भी EC ब्रांच हैं , लेकिन आपको देखा नहीं सूरज- आप नहीं देख
शिक्षा का राजनीतिकरण (Politicization Of Education)
यदि देश में शिक्षा की स्थिति का आकलन करें तो दयनीय है। विशेष रूप से अगर प्राथमिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा को देखा जाए तो पूर्ण रूप से इसका राजनीतिकरण हो गया है। इसका शिकार कोई और नहीं देश का वह गरीब तबका होता है जो सरकारी विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करता हैं । देखा जाए तो सरकारी विद्यालयों के बच्चों पर मात्रृभाषा या क्षेत्रीय भाषा का बोझ ऐसे डाल दिया जाता है जैसे इसकी जिम्मेदारी सिर्फ इन बच्चों की हैं । बचपन में जब इसकी जिम्मेदारी मुझे मिलीं तो मुझे भी बहुत खुशी हुई थी होना भी चाहिए । एक बार हिन्दी पढ़ लेने के बाद कोई कितना भी अंग्रेजी पढाये लेकिन वो हिन्दी वाली फिलींग आती नही है । एक समय आता हैं हमें पता चलता हैं कि हायर शिक्षा में अंग्रेजी के बिना दाल नही गलने वाली फिर यहाँ से हम अंग्रेजी सिखना शुरू करते है क्योंकि आगे का सफर बिना अंग्रेजी के नहीं चलने वाली अब हम हिन्दी से निकल कर अंग्रेजी के नौका पर सफर करतें हैं जो एंजवाय करते हुए इसे सिख जातें हैं उसकी नैया पार हो जाती है नहीं तो जिंदगी भर उलझन बनी रहती है । प्राथमिक शिक्षा हर बच्चें का अधिकार है जिसकी जिम्मेदारी
किसानों के बिना न्यू इंडिया का सपना अधूरा है ।
भारत युवाओं का देश हैं और जहाँ तक युवाओं की बात हैं तो युवाओं ने अपने तरफ से हर कोशिश किए हैं और कर रहे हैं । भारत की नई उड़ान हैं हम ..! हम में हैं दम बदलकर रहेंगे किसानों की खराब स्थिति को हम ..!! ~ युवा उद्यमी लेकिन किसानों को अनदेखी कर रही है सरकार और न्यू इंडिया बनाने की कल्पना करती हैं । आजकल देश में जो स्थिति किसानों की हैं वैसी किसी और की नहीं हैं और होना भी नहीं चाहिए । किसान साहूकार से कर्ज लेकर या तो शहर पलायन कर रहे हैं या विदेश दोनों जगह मजदूरी पर निर्भर हैं या कहे तो पूर्ण रुप से ठगा महसूस कर रहे हैं और सरकार नींव इंडिया की सपना देख रही हैं । इनकी स्थिति इतनी खराब हो गई हैं कि हर साल आत्महत्या के आँकड़े बढ़ते जाते हैं लेकिन किसानों को समझना चाहिए आत्महत्या इसका उचित विकल्प नहीं हैं । हमें कोई और विकल्प ढूंढना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए । अगर किसानों के पारिवारिक स्थिति को देखे तो उसे हर समय पैसे की जरूरत पड़ती हैं क्योंकि फसल के अलावा और कोई विकल्प नहीं हैं । यदि बैंक से लोन लिए हैं तो वह भी चुकाना
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
Thanks for visiting blog and comment .