हरिद्वार : देवभूमि उत्तराखंड

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हरिद्वार: हरि का द्वार अर्थात् भगवान का द्वार !   दोस्तों मेरा ये सफर हरिद्वार का था फिर आगे ऋषिकेश का ।  इस कड़ी में आप को हरिद्वार से रूबरू करवाते हैं। आप का कीमती  समय बर्बाद ना करते हुए चलिए सफर की शुरुआत आप के शहर से  करते हैं।       आप जिस भी शहर से आते हो यहाॅ आने के लिए सीधा या अल्टरनेट रुप से रेल की सुविधा है की नहीं ये देख लें। यदि  आप हवाई सफर का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो फिर दिल्ली या  देहरादून आ सकते हैं और फिर वहां से यहां आ सकते हैं। यहां आने  के बाद आपको रहने के लिए कम बजट में आश्रम मिल जायेगा  जिसमें आपको एक कमरा उपलब्ध कराया जाएगा। ज्यादा बजट  में होटल की भी सुविधा है । आप अपने बजट के अनुसार ठहर  सकते हैं। ऑनलाइन गूगल मैप से भी अपने नजदीकी आश्रम और  होटल वालों से संपर्क कर सकते हैं।         यहां आने के बाद आपको यहां के प्रसिद्ध स्थल हर की पौड़ी आना होगा। यहां आने के लिए आपको रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड दोनों  जगह से आटो की सुविधा मिल जायेगा। आप यहां  • गंगा स्नान कर सकते हैं।  • सायंकाल गंगा आरती देख सकते हैं। नोट : गंगा घाट स्थल को साफ रखने की जिम्मेदारी पर्यटक की  भी

कविता


          खेती - किसानी 


खेत - खलीहानों ने आवाज लगाया
सूनों मेरे लाल इतना मेहनत कर के
तुम करते खेतों मे काम ।
               फिर भी मिटा नहीं पाते तुम
               उपज से अपने भूखे प्यास ।।
गरीबी तुम्हारी दरवाजा खटखटायी
 और मैं भी कुछ नहीं कर पाया ।
              देखो मेरे लाल आज क्या दौर आ गया
            वो क्या दौर था , सब करते मेरा गुणगान ।।
आज कोई नहीं करना चाहता हैं ।
 ये खेती का कार्य आखिर करें भी तो क्या करें
अब आ गये हैं गोरो की जगह काले सरकार..।।

                      ✍ अमलेश


               हुंकार

         

किसानों ने हुंकारा है , सरकारों को लालकारा हैं ।
है हिम्मत तो अब आव , मेरा सामना तो कर के दिखाव
मेरी रोटी खाते हो किसी और की गुण गाते हो ।।
किसी और का सामान तुम्हें प्यारा हैं और मेरा सामान क्यों गंवारा हैं ।।।

                                             ✍ अमलेश

                बुलंद            


मेरी लेखनी पर इतना ध्यान मत दे
मेरी भावनाओं को समझ ..।
इस दुनिया में कुछ भी नहीं हैं असंभव
एकबार कोशिश तो कर के देख ..।।
आ जायेंगे खुशियों का वह पल
एकबार अपनी आवाज को बुलंद तो कर देख ..।।।

                                              ✍ अमलेश 




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