हरिद्वार : देवभूमि उत्तराखंड

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हरिद्वार: हरि का द्वार अर्थात् भगवान का द्वार !   दोस्तों मेरा ये सफर हरिद्वार का था फिर आगे ऋषिकेश का ।  इस कड़ी में आप को हरिद्वार से रूबरू करवाते हैं। आप का कीमती  समय बर्बाद ना करते हुए चलिए सफर की शुरुआत आप के शहर से  करते हैं।       आप जिस भी शहर से आते हो यहाॅ आने के लिए सीधा या अल्टरनेट रुप से रेल की सुविधा है की नहीं ये देख लें। यदि  आप हवाई सफर का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो फिर दिल्ली या  देहरादून आ सकते हैं और फिर वहां से यहां आ सकते हैं। यहां आने  के बाद आपको रहने के लिए कम बजट में आश्रम मिल जायेगा  जिसमें आपको एक कमरा उपलब्ध कराया जाएगा। ज्यादा बजट  में होटल की भी सुविधा है । आप अपने बजट के अनुसार ठहर  सकते हैं। ऑनलाइन गूगल मैप से भी अपने नजदीकी आश्रम और  होटल वालों से संपर्क कर सकते हैं।         यहां आने के बाद आपको यहां के प्रसिद्ध स्थल हर की पौड़ी आना होगा। यहां आने के लिए आपको रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड दोनों  जगह से आटो की सुविधा मिल जायेगा। आप यहां  • गंगा स्नान कर सकते हैं।  • सायंकाल गंगा आरती देख सकते हैं। नोट : गंगा घाट स्थल को साफ रखने की जिम्मेदारी पर्यटक की  भी

मेरी माँ ( कविता )

     इस कविता को आप pratilipi.com पर भी पढ़ सकते हैं । जून में प्रकाशित हूई थी आज मै अपने ब्लॉग पर प्रकाशित कर रहा हूँ ।

               मेरी माँ


आज भी जब छुट्टियों में
गांव वापस लौटकर जाता हूँ ।
माँ पुकारती हुई आती हैं वो
मेरा लाला आ गया ....
  

        "  कितना प्यारा यह पल हैं

          जब मेरा लाला मेरे करीब है

       न जाने क्यों कुछ दिनों का यह पल हैं...? "



फिर न जाने क्यों वो मेरी बचपन
की यादें सजों कर मुझे पुकारती हैं....
           

              " वो मेरा लाला तु कहाँ गया

            कितना शरारत भरा तुम्हारा वो

          बचपन था , मेरे गोद में हँसता खेलता

      तुम्हारा वो बचपन था , मेरी आँखों की पलकों

     से दूर न जाता , तुम्हारा वो बचपन था , क्यों शहरों

    मे जाकर सिमट गया तुम्हारा वो बचपन , आज तुम्हें

         याद नहीं आती वो बचपन ..."


मैं उदास होकर बोलता ...

         " माँ चंद दिनों की बात हैं

       फिर तुम्हारा लाला , तुम्हारे साथ हैं ।

      चलो माँ , अब हँस भी दो अब तुम्हारा

      लाला तुम्हारे पास हैं ...."


                           – ✍ अमलेश प्रसाद 



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