रेशमा - अनुज
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रेशमा का पति - अंसार इनडसटीरियलिस्ट ( बंबई ) असरफ pvt.
रेशमा - लाँयर बन जाती हैं और खुद का लाॅ फर्म चलाती हैं। वर्तमान
अनुज - इंजीनियरिंग कंपलीट करने के बाद, रेशमा का पता नहीं
[ भाग - 1 बचपन का प्यार ]
मैं अनुज आज यहाँ जो भी हूँ इसके पीछे एक लंबी कहानी हैं। इसकी शुरुआत 1995 के दशक से होती हैं। मेरा घर जिला
मुजफ्फरपुर के एक छोटे से गाँव में है। ऐसा गाँव हर जिले में है यहाँ से शुरू होती हैं हमारे सफर की कहानी आप को बता दे ये मेरी अकेले की कहानी नहीं है एेसी कहानी आज के हर युवा वर्ग की है इस कहानी की शुरुआत होती हैं जब मैं दसवीं क्लास में था ....!!
सुबह होती हैं... ! !
माँ मैं मुजफ्फरपुर जा रहा हूँ कुछ पैसे चाहिए...
पिताजी कहाँ हैं....??
बेटा टेबल पर पड़ा है ले लो सुबह ही तुम्हारे पापा रख कर खेत में गये हैं रात को बहुत बारिश हुई है इसलिए खेत के मेड देखने गयें हैं रोपनी का समय आ गया है . .
बेटा ये रख लो तुम्हारे लिए रोटी बना रही थी अब वहाँ जाकर खाना बनावोगे पता नहीं कहीं ट्रेन लेट हो गयी आजकल समय पर नहीं चल रही हैं . ..
माँ तुम भी ना सुबह - सुबह इतनी जल्दी जग कर इतनी मेहनत करने की क्या जरूरत मैं बना लेता वैसे भी तुम जानती हो माँ मुझे भूख नहीं लगतीं . ..
इसे रख लो और ध्यान से जाना और सुनो टिकट कटा लेना...
स्टेशन पहूँचा टिकट लिया , थोड़ी देर में ट्रेन आयीं और फिर मैं मुजफ्फरपुर पहुँचा....!!
मुजफ्फरपुर पहुँच कर मैं अपने रूम पर गया....
पहलें मकान मालिक को आवाज लगाया अजय अंकल कहाँ हैं ? किराया देना है तभी अंटी आवाज दी बेटा आजा अंदर अंकल अभी पूजा कर रहे हैं
नमस्ते अंटी...!!
बेटा और बताओ घर पर सब कोई ठिक हैं ना
हाँ अंटी ...
ठीक हैं बेटा
नहीं अंटी घर से खाना लाया हूँ खा लूँगा स्कूल जाना है जल्दी में हूँ
ठीक है बेटा...
फिर खाना खाकर स्कूल के लिए निकले... स्कूल जाने के लिए काफी जल्दी थी , रेशमा मेरा इंतजार कर रही थी हम दोनों ज्यादा से ज्यादा वक्त साथ बिताना चाहते थे क्योंकि दसवी के बाद हम रेशमा से ज्यादा नहीं मिल सकते थे ...!!!
हाय रेशमा...
हाय अनुज...
और रेशमा छुट्टी के बाद काफी मोटी हो गयी हो क्या खा रही थी
यार कुछ नहीं, वस खाना और सोना इसलिए...
और तुम पतले क्यों हो गयें हो माँ के हाथ के खाना खाकर भी...
क्या करूँ तुम्हारी याद जो आ रही थी ।
हट यार तुम भी ना हर वक़्त मजाक करते रहता है ।
तुमको और वो भी मेरी याद....
हाँ नहीं तो क्या तुम्हारी वो बेस्ट फ्रेंड है शिल्पा उसकी याद आयेगी . ..?
तभी बेल बजने की आवाज सुनाई दी हम दोनों कक्षा की तरफ बढ़े । रेशमा अपने दोस्त के साथ बैठ ने चली गयी और मैं अपने दोस्तों के साथ ....!!
टीचर - गूड मोरनिंग बच्चों
विद्ाथी - गूड मोरनीग टीचर
कमेस्टी के क्लास में टीचर जहाँ रियेक्शन पढ़ा रहे थे वही हम
अपने मोहब्बत के कमेस्टी में व्यस्त थे हम रेशमा को बार - बार
देखते वही रेशमा हमें इशारा करती बोर्ड पर ध्यान दो फिर हम कुछ देर बोर्ड पर ध्यान देतें फिर रेशमा को देखने लगते।
क्लास का वो समय यूँ ही देखते - देखते खत्म हो जाती और छुट्टी का वक्त आ जाता ।
रेशमा - लाओ अपना कॉपी दो देखें क्या लिखा है?
अनुज - लो यार , देख लो
रेशमा - ओ यार तुम तो इधर - उधर देखने में व्यस्त था फिर बना कब लिया?
अनुज - बना लिया यार और क्या?
रेशमा - ये लो मैं जा रही हूँ झूठा कही का
अनुज - अरे - अरे रूको यार भाग क्यों रही हो बताता हूँ, घर से ही बना कर लाया था।
रेशमा - अब चलो घर भी जाना है टाइम हो गया, तुम्हारे जैसा मैं अकेली नहीं रहती हूँ चलो अब..!!
हमदोनो साईकिल लेकर अपने घर के तरफ चल दिए , थोड़ी दूर के बाद एकदूसरे को बाय बोल दिए रेशमा अपने घर की तरफ मुड़ गयीं और मैं अपने.....!!
रूम पर पहुँच कर मैं फरेस हुआ फिर खाना बनाया , जोर से भूख लगी थी पता नहीं क्यों रेशमा के साथ था तो भूख का एहसास नहीं हुआ और दूर जाते ही पेट की भूख याद आ गयी।
खाकर सो गया...!!
उधर रेशमा अपने घर पहुँच गयीं थी उसकी माँ अमीरा जी आवाज दी ..!!
अमीरा - बेटा जान आवो तब तक मैैं काँफी बनातीं हूँ थक गयी होगी ।
थोड़ी देर में नास्ता आ गया, और बेटा जान कैसा रहा आज का स्कूल ?
रेशमा - हाँ, अम्मी आती हूँ काफी अच्छा रहा।
अमीरा - आओ देखो तुम्हारी लाडली बहन आज क्या पढ़ाई कर ली है बहुत खुश है ? पूछों तो उससे...!!
रेशमा - क्या छोटी क्या पढाई कर ली है इतना खुश है।
रजिया - पता है रेशमा बाजी मैं रोज न्यूज़ में सुनती थी कि
एनरासी और कैब , सीएएम को लेकर यहाँ दंगा हुआ वहाँ, तो मैं
परेशान थी इसलिए मेरी इच्छा हुई कि क्यों ना हम अपने नागरिक
शास्त्र के रहमान सर से पुछ ले इसलिए आज मैंने क्लास में पूछ ली
हूँ। सर काफी अच्छे से समझा दिये है। पता हैं मम्मी जान हमारे
देश में सबको अधिकार हैं शांतिपूर्ण तरीके से अपने हक के लिए
आंदोलन करने का लेकिन बिना समझे ये तो गलत है ना मम्मी जान...!!
अमीरा - हाँ, बेटा तुम कितनी समझदार हो गयी हो अल्लाह सबको तुम्हारी जैसी समझदार बेटी दे अब जाओ दोनों बहन आराम करों...!!
दोनों बहन कमरे में जाने लगी तभी आवाज आयीं...!!
अमीरा - बेटा रात में क्या खाओगी... आप रेशमा - अपने पसंद का बना देना मम्मी, रजिया से पूछ लो
रेशमा अपने कमरे में जाकर अनुज को काँल की ...!!
टीक... टीक....
अनुज - हाय रेशमा ..!!
रेशमा - क्या मेरे शाहरू़खान क्या कर रहे हो ?
अनुज - हाँ बोलो मेरी दिव्या भारती, मैं तो आकर सो गया, तुम अपना बताओ ।
रेशमा - काँफी पीकर आराम कर रही हूँ।
अच्छा सुनो तुम अपना कमेस्टी का नोट्स हमें दे देना मैं भी कल पहले बना लूंगी...!!
अनुज - तुम भी अपना सोसल साइंस मुझे दे देना, पता हैं यार मुझे
ये सोसल साइंस पढने का मन नहीं करता, आगे साइंस पढना है तो ये कौन पढ़ेगा इतना सारा....!!
रेशमा - मुझे तो लाँ की पढ़ाई करनी हो, लाँयर बनने का सपना है। वैसे 12 तक तो मुझे आट्स पठना हैं ।
अनुज - अच्छा यार फिर कल स्कूल में मिलते हैं। 10 के फायनल परीक्षा भी जल्द आनेवाली हैं।
तुम्हारी माँ खाना बना दी होगी.. जल्दी जाओ
रेशमा - ठीक हैं यार चलो
रेशमा खाना - खाकर सो गयी। सुबह स्कूल भी जाना था।
अगले दिन .... स्कूल में
अनुज - हाय रेशमा
रेशमा - हाय ... और परीक्षा की तैयारी कैसी चल रही हैं। क्या - क्या पढ़ा जाय समझ नहीं आता अनुज।
उपर से दिल्ली जाने की टेंशन.... क्या कहूँ तुमसे ?
कल अब्बू बोल रहे थे कलैट की तैयारी करने के लिए दिल्ली जानें के लिए।
अनुज - अरे यार इतनी छोटी सी बात का टेंशन क्यों ले रही हो। चलो कक्षा में पहले पढ़ाई करने।
रेशमा - ओके
अनुज और रेशमा.... के मोहब्बत का ये सिलसिला ज्यादा दिन नहीं चला। कुछ दिन बाद परिक्षा का दिन आ गया। और देखते देखते परिक्षा भी समाप्त हो गया।
रेशमा दिल्ली चली गयी। अब बात कम होती हैं ।
वही अनुज भी कुछ दिन बाद आईआईटी के प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने कोटा चला गया।
[ इस कहानी का पहला भाग आपको कैसा लगा ? अपनी प्रतिक्रिया जरूर दिजियेगा । आप के सुझाव का स्वागत है। अगले भाग में आपके सुझाव को शामिल करेगें ]
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