हरिद्वार : देवभूमि उत्तराखंड

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हरिद्वार: हरि का द्वार अर्थात् भगवान का द्वार !   दोस्तों मेरा ये सफर हरिद्वार का था फिर आगे ऋषिकेश का ।  इस कड़ी में आप को हरिद्वार से रूबरू करवाते हैं। आप का कीमती  समय बर्बाद ना करते हुए चलिए सफर की शुरुआत आप के शहर से  करते हैं।       आप जिस भी शहर से आते हो यहाॅ आने के लिए सीधा या अल्टरनेट रुप से रेल की सुविधा है की नहीं ये देख लें। यदि  आप हवाई सफर का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो फिर दिल्ली या  देहरादून आ सकते हैं और फिर वहां से यहां आ सकते हैं। यहां आने  के बाद आपको रहने के लिए कम बजट में आश्रम मिल जायेगा  जिसमें आपको एक कमरा उपलब्ध कराया जाएगा। ज्यादा बजट  में होटल की भी सुविधा है । आप अपने बजट के अनुसार ठहर  सकते हैं। ऑनलाइन गूगल मैप से भी अपने नजदीकी आश्रम और  होटल वालों से संपर्क कर सकते हैं।         यहां आने के बाद आपको यहां के प्रसिद्ध स्थल हर की पौड़ी आना होगा। यहां आने के लिए आपको रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड दोनों  जगह से आटो की सुविधा मिल जायेगा। आप यहां  • गंगा स्नान कर सकते हैं।  • सायंकाल गंगा आरती देख सकते हैं। नोट : गंगा घाट स्थल को साफ रखने की जिम्मेदारी पर्यटक की  भी

 मरजावां मूवी रिव्यू 

पुरानी फिल्मों को याद दिलाती है मरजावां :-


 इश्क़ और मोहब्बत के बीच में विलन का आना उस पुराने दौर की फिल्मों का याद दिलाती है लेकिन नायिका का मौन रहना और डायलॉग कुछ ज्यादा बोरिंग सा लगता हैं। विलेन का किरदार जबरदस्त है वही गाना काफी रोमांटिक है।

                              [ मरजावां मूवी ]

          अन्ना जो कि जल माफिया हैं एक अनाथ को मुंबई की गलियों में लाता है। जिसका नाम रघु( सिद्धार्थ मल्होत्रा) है।
  मैं इस बात को नहीं समझ सकता कि रघु अपनी  प्रेमिका की जान क्यों लेता है, लेकिन यह एक सामान्य प्रेम कहानी नहीं है ? उन्हें एक कश्मीरी [तारा सुतारिया] से प्यार है, जो फिल्म में म्यूट हैं। वह अपनी आवाज़ के माध्यम से संवाद नहीं कर सकती, लेकिन  आँखों - आँखों  से गुफ्तगु करती नजर आती हैं। अन्ना का बेटा विष्णु अन्ना (रितेश देशमुख) जिसका कद छोटा है , इसलिए उसके पिता उसको ज्यादा नहीं मानते जबकि रघु को ज्यादा मानते हैं। एक अनाथ रघु, धर्मनिरपेक्ष है - इसे एक उल्लेख की आवश्यकता है क्योंकि इसे स्थापित करने के लिए पटकथा में कई मिनट बिताए गए हैं। और उन लोगों के लिए जो अभी भी असंबद्ध थे। उसके तीन वफादार दोस्त हैं, उनमें से एक प्रतिनिधित्व-खातिर  है। आरज़ू (रकुल प्रीत सिंह) एक नटखट लड़की है, जिसे रघु से प्यार हो जाता है और फिर ज़ोया (तारा सुतारिया) है, जो एक मूक लड़की है जो झुग्गी के बच्चों के जीवन को संगीत के माध्यम से बदलना चाहती है। वह प्रतिभाशाली गायकों और संगीतकारों की पहचान करना चाहती है, उन्हें एक संगीत प्रतियोगिता के लिए कश्मीर ले जाती है, जो, वह मानती है कि वे उसकी  मदद से जीतेंगे, और इस तरह यह उनके जीवन को बदल देगी। रघु को ज़ोया से प्यार हो जाता है। तारा, रघु को बदलकर उसे प्यार के रास्ते पर लाना चाहती है। रघु भी सभी गलत काम छोड़कर जोया के साथ एक अलग दुनिया बसाना चाहता है। लेकिन तभी कहानी में कुछ ऐसी घटना घटती है कि अन्ना रघु को कहता है कि वो जोया को अपने हाथों से मार दे। बीच मजधार में फंसा रघु ऐसा ही करता है। 
इसके बाद रघु कुछ महीनों के लिए जेल चला जाता है और जिंदगी से हार मान लेता है। कुछ समय बाद जब वो जेल से बाहर आता है तब बदला लेने के लिए एक पूरा प्लॉन बना के आता है। इसके बाद रघु और विष्णु के आसपास ही कहानी घूमती है।

फिल्म - मरजावां 

निर्देशक - मिलाप जावेरी

स्टारकास्ट - सिद्धार्थ मल्होत्रा,रितेश देशमुख, तारा सुतारिया, राकुल प्रीत सिंह


मैं मरजावां मूवी को 5 में से 3 रेंटिंग दूँगा। 

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