💔 रिश्ते: प्रेम, भय और आज की युवा सोच

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हाल ही में  एक राज्य में हुई  घटना और नीली ड्रम का प्रकरण पुरुषों के बीच शादी को लेकर एक गहरा डर और असुरक्षा का भाव उत्पन्न कर रहा है। इसने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है कि — क्या हम सच में अपनी युवा पीढ़ी को नहीं समझ पा रहे हैं, या समझ कर भी अनदेखा कर रहे हैं? हम आज भी उस पुरानी रुढ़िवादी सोच को अपने दिमाग से निकाल नहीं पाए हैं। सिर्फ समाज में अपनी खोखली छवि बनाए रखने के लिए हम वास्तविकता से आंखें मूंद लेते हैं। अगर हम मानते हैं कि युवा पीढ़ी को प्रेम और रिश्तों की समझ नहीं है, तो क्या यह हमारी जिम्मेदारी नहीं बनती कि हम उन्हें समझाएँ? "प्रेम त्याग और समर्पण है। यदि तुममें यह भावना है, तो प्रेम करो। यदि नहीं है, तो जिससे प्रेम करते हो, उसी से विवाह  करो।" अब यहाँ एक और बात समझने की है — क्या तुम कानूनी रूप से 18 और 21 वर्ष के हो? क्या तुम्हें सही और गलत की समझ है? क्या तुम जीवन को तार्किक रूप से समझने लगे हो? यदि हाँ, तो भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 तुम्हें यह मौलिक अधिकार देता है कि तुम अपनी पसंद से शादी कर सको। यदि कोई इसमें बाधा डालता है, तो तुम प्रशासन से अपनी सुरक...

 मरजावां मूवी रिव्यू 

पुरानी फिल्मों को याद दिलाती है मरजावां :-


 इश्क़ और मोहब्बत के बीच में विलन का आना उस पुराने दौर की फिल्मों का याद दिलाती है लेकिन नायिका का मौन रहना और डायलॉग कुछ ज्यादा बोरिंग सा लगता हैं। विलेन का किरदार जबरदस्त है वही गाना काफी रोमांटिक है।

                              [ मरजावां मूवी ]

          अन्ना जो कि जल माफिया हैं एक अनाथ को मुंबई की गलियों में लाता है। जिसका नाम रघु( सिद्धार्थ मल्होत्रा) है।
  मैं इस बात को नहीं समझ सकता कि रघु अपनी  प्रेमिका की जान क्यों लेता है, लेकिन यह एक सामान्य प्रेम कहानी नहीं है ? उन्हें एक कश्मीरी [तारा सुतारिया] से प्यार है, जो फिल्म में म्यूट हैं। वह अपनी आवाज़ के माध्यम से संवाद नहीं कर सकती, लेकिन  आँखों - आँखों  से गुफ्तगु करती नजर आती हैं। अन्ना का बेटा विष्णु अन्ना (रितेश देशमुख) जिसका कद छोटा है , इसलिए उसके पिता उसको ज्यादा नहीं मानते जबकि रघु को ज्यादा मानते हैं। एक अनाथ रघु, धर्मनिरपेक्ष है - इसे एक उल्लेख की आवश्यकता है क्योंकि इसे स्थापित करने के लिए पटकथा में कई मिनट बिताए गए हैं। और उन लोगों के लिए जो अभी भी असंबद्ध थे। उसके तीन वफादार दोस्त हैं, उनमें से एक प्रतिनिधित्व-खातिर  है। आरज़ू (रकुल प्रीत सिंह) एक नटखट लड़की है, जिसे रघु से प्यार हो जाता है और फिर ज़ोया (तारा सुतारिया) है, जो एक मूक लड़की है जो झुग्गी के बच्चों के जीवन को संगीत के माध्यम से बदलना चाहती है। वह प्रतिभाशाली गायकों और संगीतकारों की पहचान करना चाहती है, उन्हें एक संगीत प्रतियोगिता के लिए कश्मीर ले जाती है, जो, वह मानती है कि वे उसकी  मदद से जीतेंगे, और इस तरह यह उनके जीवन को बदल देगी। रघु को ज़ोया से प्यार हो जाता है। तारा, रघु को बदलकर उसे प्यार के रास्ते पर लाना चाहती है। रघु भी सभी गलत काम छोड़कर जोया के साथ एक अलग दुनिया बसाना चाहता है। लेकिन तभी कहानी में कुछ ऐसी घटना घटती है कि अन्ना रघु को कहता है कि वो जोया को अपने हाथों से मार दे। बीच मजधार में फंसा रघु ऐसा ही करता है। 
इसके बाद रघु कुछ महीनों के लिए जेल चला जाता है और जिंदगी से हार मान लेता है। कुछ समय बाद जब वो जेल से बाहर आता है तब बदला लेने के लिए एक पूरा प्लॉन बना के आता है। इसके बाद रघु और विष्णु के आसपास ही कहानी घूमती है।

फिल्म - मरजावां 

निर्देशक - मिलाप जावेरी

स्टारकास्ट - सिद्धार्थ मल्होत्रा,रितेश देशमुख, तारा सुतारिया, राकुल प्रीत सिंह


मैं मरजावां मूवी को 5 में से 3 रेंटिंग दूँगा। 

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