हरिद्वार : देवभूमि उत्तराखंड

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हरिद्वार: हरि का द्वार अर्थात् भगवान का द्वार !   दोस्तों मेरा ये सफर हरिद्वार का था फिर आगे ऋषिकेश का ।  इस कड़ी में आप को हरिद्वार से रूबरू करवाते हैं। आप का कीमती  समय बर्बाद ना करते हुए चलिए सफर की शुरुआत आप के शहर से  करते हैं।       आप जिस भी शहर से आते हो यहाॅ आने के लिए सीधा या अल्टरनेट रुप से रेल की सुविधा है की नहीं ये देख लें। यदि  आप हवाई सफर का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो फिर दिल्ली या  देहरादून आ सकते हैं और फिर वहां से यहां आ सकते हैं। यहां आने  के बाद आपको रहने के लिए कम बजट में आश्रम मिल जायेगा  जिसमें आपको एक कमरा उपलब्ध कराया जाएगा। ज्यादा बजट  में होटल की भी सुविधा है । आप अपने बजट के अनुसार ठहर  सकते हैं। ऑनलाइन गूगल मैप से भी अपने नजदीकी आश्रम और  होटल वालों से संपर्क कर सकते हैं।         यहां आने के बाद आपको यहां के प्रसिद्ध स्थल हर की पौड़ी आना होगा। यहां आने के लिए आपको रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड दोनों  जगह से आटो की सुविधा मिल जायेगा। आप यहां  • गंगा स्नान कर सकते हैं।  • सायंकाल गंगा आरती देख सकते हैं। नोट : गंगा घाट स्थल को साफ रखने की जिम्मेदारी पर्यटक की  भी

क्षेत्रवाद के प्रति लोगों की सोच

           
         

कोई व्यक्ति  जब यह कहता है कि मैं  u.p से हूँ राजस्थान , बिहार  या फिर अन्य राज्य  से हूँ  तब अन्य व्यक्ति उस व्यक्ति के बारें मैं अलग-अलग अवधारणाऐं लगाते हैं , जैसे मान लिजाए कि एक व्यक्ति बिहार से हो और एक गुजरात का हो तव यह देखा जायेगा कि  गुजरात का व्यक्ति के मन मे सबसे पहले यह अवधारण आता है कि बिहारी बाबु , क्षमिक , रोजगार का मारा ,गंदे लोग , जहाँ -तहाँ थुकने वाले, और तो और वहां कि शिक्षा व्यवस्था , स्वाथ्य व्यवास्थ और वहां कि सरकार कि अवहेलना कर ब्यक्ति को नीचा दिखातें हैं।

मै बिहार से हूँ  लेकिन इस तरह कि अवधारणायें लगाना या किसी प्रकार का अवहेलना करना तार्किक एंव उचित नही हैं।
हा मैं मानता हूँ कि बिहार कि शिक्षा व्यवास्थ, स्वाथ्थय में बहुत सुधार की जरूरत हैं इसके लिए हमारी राज्य सरकार एंव केंद्र सरकार दोनो मिलकर हर संम्भव प्रयास कर रही हैं । हल हि में हमारे प्रधान मंत्री द्वारा लाया गया स्वभिमान कार्यक्रम जो एक स्वाथ्थय के क्षेत्र में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम था जिसमे  हर परिवार के लिए 5 लाख का स्वाथ्थ बीमा  तथा छोटे सरकारी अस्पतालो को किसी बड़े निजी अस्पतालो से जोड़ने का काम किया हैं । अब बात रही बिहार कि अर्थव्यवस्थ पर तो देखा जाय तो यहां सेवा क्षेत्र का योग्दान लगभग60%  कषि क्षेत्र में 37% के आसपास तथा उघोग क्षेत्र में 17% देखा जा सकता हैं!
इस  विविधता मूलक देश में क्षेत्रवाद ,जातिवाद , धर्म के आधार पर लोगों को बाँटा जा चुका हैं । आज भले ही राजनीतिक पार्टी कहेें कि भारतीय लोकतंत्र में लोग जातिवाद ,क्षेत्रवाद से परे होकर एक लोकतांत्रिक सरकार ,एक संप्रभुत्व राष्ट का निर्माण करेंगे बाद में बही राजनीतिक पार्टी क्षेत्रवाद ,जातिवाद  धर्म के नाम पर वोट बैंक बनाते हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण 17वी लोकसभा चुनाव में देखने को मिला जिसमे राम मंदिर को लेकर एक पार्टी दुसरे पार्टी के बीच देखा गया । यह विवाद र्सिफ 17 वी लोकसभा की नही है बल्कि हर लोकसभा चुनाव की हैं ।
       
इस प्रकार की क्षेत्रबाद जो हमें जाति , धर्म ,सम्प्रादायिकता जोड़कर रखता है उसे समाज से हटाने की कोशिश करना चाहिए और लोगों को एक राज्य के प्रति हिन की भावना को समाप्त कर सभी को एक समान देखे क्योंकि इस बिशाल विविधता मूलक देश में सभी को एक समान कानून,  एक मूल अधिकार प्राप्त हैं ।
             
           इसलिए समाज रह रहें लोगों की सोच बदलें इसके लिए हमें पहलें खुद को बदलना होगा तब जाकर समाज,राज्य और देश को बदला जा सकता हैं।।
                                                 (नील कमल)

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