💔 रिश्ते: प्रेम, भय और आज की युवा सोच

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हाल ही में  एक राज्य में हुई  घटना और नीली ड्रम का प्रकरण पुरुषों के बीच शादी को लेकर एक गहरा डर और असुरक्षा का भाव उत्पन्न कर रहा है। इसने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है कि — क्या हम सच में अपनी युवा पीढ़ी को नहीं समझ पा रहे हैं, या समझ कर भी अनदेखा कर रहे हैं? हम आज भी उस पुरानी रुढ़िवादी सोच को अपने दिमाग से निकाल नहीं पाए हैं। सिर्फ समाज में अपनी खोखली छवि बनाए रखने के लिए हम वास्तविकता से आंखें मूंद लेते हैं। अगर हम मानते हैं कि युवा पीढ़ी को प्रेम और रिश्तों की समझ नहीं है, तो क्या यह हमारी जिम्मेदारी नहीं बनती कि हम उन्हें समझाएँ? "प्रेम त्याग और समर्पण है। यदि तुममें यह भावना है, तो प्रेम करो। यदि नहीं है, तो जिससे प्रेम करते हो, उसी से विवाह  करो।" अब यहाँ एक और बात समझने की है — क्या तुम कानूनी रूप से 18 और 21 वर्ष के हो? क्या तुम्हें सही और गलत की समझ है? क्या तुम जीवन को तार्किक रूप से समझने लगे हो? यदि हाँ, तो भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 तुम्हें यह मौलिक अधिकार देता है कि तुम अपनी पसंद से शादी कर सको। यदि कोई इसमें बाधा डालता है, तो तुम प्रशासन से अपनी सुरक...

किसान ' राम सिंह '

यह कहानी करीब 22 वर्ष पहले की हैं । हमारा वतन हिन्दुस्तान के रामपुर गाँव की कहानी हैं । उसी गाँव में एक साधारण किसान राम सिंह रहता था । जो बहुत ही ईमानदार और स्वभाव से धनी था । उसके चार बच्चे थे पिंकू , टिंकू , रिंकी और पिंकी । राम सिंह रोज सुबह जागता और अपने दोनों बैल बलवान और बलि के साथ खेतों पर निकल जाता । बलवान और बलि भी अपने मालिक के लिए खूब मेहनत करते । राम सिंह भी अपने बलवान - बलि को खूब मानता । उनके भोजन के लिए अच्छे - अच्छे चारा की व्यवस्था करता । कभी कभार यदि चारा नहीं मिलता फिर भी बलवान और बलि अपने मालिक को निराश नहीं करते जो मिलता वही खा लेते ।
            एक दिन राम सिंह अपने खेतों की ओर जा रहा था तभी गाँव के दो व्यक्ति उसपर ताने कसने लगे मैं धोटा था इसलिए ज्यादा तो नहीं समझा ।
रामलाल - भाई श्यामलाल देखो राम सिंह को आजकल बहुत मेहनत कर रहा हैं । लगता हैं मर जाएगा तो सब खेत - बाड़ी लाद कर ले जाएगा ।
श्यामलाल :- अरे भाई रामलाल तुम नहीं जानते हो , अपने सरपंच साहब गये थे दिल्ली कल ही लौट कर आये हैं । उनका लड़का कलक्टर की तैयारी करता हैं । वहीं बता रहे थे की राम सिंह अपने बेटवा के कलक्टर बनाने का सपना देख रहा हैं ।
रामलाल :- कलक्टर क्या होता हैं उसे पता हैं ? जो भी खेती करता हैं वो भी नहीं बचेगा । कभी शहर गया हैं दिनभर खेत में काम करता हैं और चला बेटवा के कलक्टर बनाने ।
उसे बहुत सारे ताने सहने पड़ते लेकिन वह उसकी तरफ ध्यान नहीं देता । उसकी मेहनत को देख गाँव के डाक बाबू उसकी हिम्मत को बढ़ाते थे । कुछ वर्षों के बाद उसके बच्चे स्कूल जाने लगे ।
उसके दोनों बड़े बच्चे जब स्कूल जाने लगे । रोज रात को अपने माँ और बापू से अपने स्कूल की कहानी सुनाते और अपने माँ और बापू से कहानी सुनते और अपने दोनों छोटी बहना को भी सुनाते । बड़ा थोड़ा सांत स्वभाव के था तो छोटा शरारती था लेकिन अपने माँ और बापू के संस्कार को कभी नहीं भूलता था । दोनों भाई मिलकर रहते थे । कभी कभार पढ़ाई से समय निकाल कर अपने बापू के साथ अपने खेतों मे भी कार्य करते ।
एक दिन स्कूल की छुट्टी होने के बाद रास्ते मे छोटा भाई बड़े भाई से कहा , भाई मुझे तो बड़ा होकर कलक्टर बनना हैं । बड़ा भाई उसके हौसले को बढ़ाता और कहता हाँ , छोटू तुम कलक्टर नहीं बनोगे तो फिर कौन बनेगा । छोटा भाई बहुत खुश हुआ और फिर दोनों बात करते हुए घर आ गये ।
         बेटे को देखकर माँ अवाज देती हैं , बेटा हाथ धोकर आ जाओ खाने , खाना निकाल दी , तुम्हारे बापू भी खेत से आ गये हैं । आओं साथ में खा लेते हैं । दोनों हाथ धोकर और दौड़ कर आये और अपने बापू के साथ खाने लगे तभी छोटा अपने बापू से कहता हैं बापू आज आप को कुछ बतायेंगे । आप शाम को घर आयेंगे उसी समय ।
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                                          ✍ अमलेश
धन्यवाद !

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