यह कहानी करीब 22 वर्ष पहले की हैं । हमारा वतन हिन्दुस्तान के रामपुर गाँव की कहानी हैं । उसी गाँव में एक साधारण किसान राम सिंह रहता था । जो बहुत ही ईमानदार और स्वभाव से धनी था । उसके चार बच्चे थे पिंकू , टिंकू , रिंकी और पिंकी । राम सिंह रोज सुबह जागता और अपने दोनों बैल बलवान और बलि के साथ खेतों पर निकल जाता । बलवान और बलि भी अपने मालिक के लिए खूब मेहनत करते । राम सिंह भी अपने बलवान - बलि को खूब मानता । उनके भोजन के लिए अच्छे - अच्छे चारा की व्यवस्था करता । कभी कभार यदि चारा नहीं मिलता फिर भी बलवान और बलि अपने मालिक को निराश नहीं करते जो मिलता वही खा लेते ।
एक दिन राम सिंह अपने खेतों की ओर जा रहा था तभी गाँव के दो व्यक्ति उसपर ताने कसने लगे मैं धोटा था इसलिए ज्यादा तो नहीं समझा ।
रामलाल - भाई श्यामलाल देखो राम सिंह को आजकल बहुत मेहनत कर रहा हैं । लगता हैं मर जाएगा तो सब खेत - बाड़ी लाद कर ले जाएगा ।
श्यामलाल :- अरे भाई रामलाल तुम नहीं जानते हो , अपने सरपंच साहब गये थे दिल्ली कल ही लौट कर आये हैं । उनका लड़का कलक्टर की तैयारी करता हैं । वहीं बता रहे थे की राम सिंह अपने बेटवा के कलक्टर बनाने का सपना देख रहा हैं ।
रामलाल :- कलक्टर क्या होता हैं उसे पता हैं ? जो भी खेती करता हैं वो भी नहीं बचेगा । कभी शहर गया हैं दिनभर खेत में काम करता हैं और चला बेटवा के कलक्टर बनाने ।
उसे बहुत सारे ताने सहने पड़ते लेकिन वह उसकी तरफ ध्यान नहीं देता । उसकी मेहनत को देख गाँव के डाक बाबू उसकी हिम्मत को बढ़ाते थे । कुछ वर्षों के बाद उसके बच्चे स्कूल जाने लगे ।
उसके दोनों बड़े बच्चे जब स्कूल जाने लगे । रोज रात को अपने माँ और बापू से अपने स्कूल की कहानी सुनाते और अपने माँ और बापू से कहानी सुनते और अपने दोनों छोटी बहना को भी सुनाते । बड़ा थोड़ा सांत स्वभाव के था तो छोटा शरारती था लेकिन अपने माँ और बापू के संस्कार को कभी नहीं भूलता था । दोनों भाई मिलकर रहते थे । कभी कभार पढ़ाई से समय निकाल कर अपने बापू के साथ अपने खेतों मे भी कार्य करते ।
एक दिन स्कूल की छुट्टी होने के बाद रास्ते मे छोटा भाई बड़े भाई से कहा , भाई मुझे तो बड़ा होकर कलक्टर बनना हैं । बड़ा भाई उसके हौसले को बढ़ाता और कहता हाँ , छोटू तुम कलक्टर नहीं बनोगे तो फिर कौन बनेगा । छोटा भाई बहुत खुश हुआ और फिर दोनों बात करते हुए घर आ गये ।
बेटे को देखकर माँ अवाज देती हैं , बेटा हाथ धोकर आ जाओ खाने , खाना निकाल दी , तुम्हारे बापू भी खेत से आ गये हैं । आओं साथ में खा लेते हैं । दोनों हाथ धोकर और दौड़ कर आये और अपने बापू के साथ खाने लगे तभी छोटा अपने बापू से कहता हैं बापू आज आप को कुछ बतायेंगे । आप शाम को घर आयेंगे उसी समय ।
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✍ अमलेश
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