हरिद्वार : देवभूमि उत्तराखंड

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हरिद्वार: हरि का द्वार अर्थात् भगवान का द्वार !   दोस्तों मेरा ये सफर हरिद्वार का था फिर आगे ऋषिकेश का ।  इस कड़ी में आप को हरिद्वार से रूबरू करवाते हैं। आप का कीमती  समय बर्बाद ना करते हुए चलिए सफर की शुरुआत आप के शहर से  करते हैं।       आप जिस भी शहर से आते हो यहाॅ आने के लिए सीधा या अल्टरनेट रुप से रेल की सुविधा है की नहीं ये देख लें। यदि  आप हवाई सफर का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो फिर दिल्ली या  देहरादून आ सकते हैं और फिर वहां से यहां आ सकते हैं। यहां आने  के बाद आपको रहने के लिए कम बजट में आश्रम मिल जायेगा  जिसमें आपको एक कमरा उपलब्ध कराया जाएगा। ज्यादा बजट  में होटल की भी सुविधा है । आप अपने बजट के अनुसार ठहर  सकते हैं। ऑनलाइन गूगल मैप से भी अपने नजदीकी आश्रम और  होटल वालों से संपर्क कर सकते हैं।         यहां आने के बाद आपको यहां के प्रसिद्ध स्थल हर की पौड़ी आना होगा। यहां आने के लिए आपको रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड दोनों  जगह से आटो की सुविधा मिल जायेगा। आप यहां  • गंगा स्नान...

तुम्हारे मुख से निकली पहली वाणी हूँ ..।

हिन्दी अंग्रेजी की तरह सेक्सी नहीं हैं शायद इसलिए तो हमारे जेहन से जाती नहीं । हम हिन्दी माध्यम वाले लाख अंग्रेजी पढ़ लें या बोल ले लेकिन हिन्दी के होकर रह जाते हैं भला ये बात अंग्रेजी माध्यम वाले को कौन समझाये । पढ़े हमारे द्वारा लिखित कुछ पंक्तियाँ जिसमें हिन्दी की पुकार आपको सुनाई देगी ।

   "  हिन्दी हैं हम वतन हैं हिन्दुस्तान हमारा

                        सदियों पुराना इतिहास हैं हमारी
   
          जिसके जेहन में एकबार शमा जाती उससे दूर नहीं जाती

       ऐसी सरस्वती से वरदान मिली मुझको , बिन बुलाए सपने में आ जाती

लाख पढ़ो या सोचो अंग्रेजी में लेकिन सपने हिन्दी में आता कौन कहता हैं 

तुमसे दूर चली गयी आज भी तुम लाख ना चाहों फिर भी तुम्हारे सपने में
आती क्योंकि मैं हिन्दी बोल रही हूँ ,मैं हिन्दी हूँ  तुम चाहों जितना भूलना 

उतना तुम्हें याद आती अगर विश्वास तुम्हें नहीं होता तो फिर से बचपन में

 चले जाओं , याद करो वो दिन , तुम्हारे मुख से निकली पहली वाणी हूँ ,

मैं हिन्दी बोल रही हूँ , मैं हिंदी हूँ ...मैं हिन्दी हूँ ......"


✍अमलेश प्रसाद 




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